Rohiri Festival: रोहिड़ी इससे पहले कभी चर्चा में नहीं आया। जब से राजस्थान के एक निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह सिंह भाटी (Ravindra Singh Bhati) ने रोहिड़ी म्यूजिक फेस्टिवल का बीड़ा उठाया है, तभी से रोहिड़ी लोगों की जुबान पर आया है। असल में यह एक गांव है और इसके पास है विस्तृत मरुस्थल। जोरदार सुनहरे धोरे, जिनका ओर-छोर दिखाई नहीं देता। राजस्थान (Rajasthan) में जैसलमेर के सम का मरुस्थल सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है और जैसलमेर के पर्यटन व्यवसायियों ने उसी मरुस्थलीय क्षेत्र का जोरदार दोहन किया है। करोड़ों रुपए कमाए हैं और करोड़ों रुपए हर साल कमा रहे हैं।
करीब दो वर्ष पूर्व मैं जब राजस्थान के अनदेखे और कम देखे गए पहलुओं की तलाश में घूम रहा था तब मैंने बाड़मेर से शिव होते हुए जैसलमेर जाने का प्लान किया हुआ था। बहुत सीधा रास्ता था। 31 दिसंबर, 2022 का दिन था। शिव से जैसलमेर पूरा 100 किलोमीटर पड़ रहा था और चमचमाता हाईवे था। डेढ़ घंटे से ज्यादा समय लगने की संभावना ही नहीं थी। मैं 31 की शाम सम के धोरों पर पहुंचना चाहता था। शिव में मुझे रविंद्र सिंह भाटी मिले। तब वे विधायक नहीं थे। मेरी यात्रा का उद्देश्य पूछने पर उन्होंने सुझाव दिया कि दादा, आपको गडरा रोड होते हुए जैसलमेर जाना चाहिए ताकि आप वहां रोहिड़ी का डेजर्ट भी देख सको।
मुझे रोहिड़ी के डेजर्ट के बारे में तब कुछ भी जानकारी नहीं थी, जबकि सम के धोरे जाने-पहचाने थे और यह भी पता था कि वे आज गुलजार होंगे, फिर भी मैंने रविंद्र की बात मानते हुए गडरा रोड का रुख किया। सड़क उतनी अच्छी नहीं थी, सफर थकाऊ था लेकिन भारतमाला सड़क पर जैसे ही रोहिड़ी का डेजर्ट देखा, सारी थकान दूर हो गई और एक नई स्फूर्ति आ गई। यह एक अनछुआ मरुस्थल था। इक्के-दुक्के आदमी के अलावा कोई नहीं था। दूर-दूर तक रेत की लहरें ही लहरें। जैसे रेत का समुद्र। वहां की खूबसूरती को मैंने एक वीडियो में भी रिकॉर्ड किया। रेत के इस समुद्र के दोहन की अपार संभावनाएं तो थी ही और हैं ही। कभी अवसर मिले तो यह स्थान देखने जरूर जाइए।
रोहिड़ी म्यूजिक फेस्टिवल के बहाने यहां पर्यटन की उन्हीं संभावनाओं को पंख लग सकते थे। किसी भी नए डेस्टिनेशन की तलाश और पहचान इसी तरह बनती है। कोई जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र के लिए यही कर सकता है कि वह रोजगार-व्यापार के नए रास्ते खोले, नई राह दिखाए। हालांकि बाड़मेर जिला प्रशासन ने सीमा की संवेदनशीलता तथा सुरक्षा की दृष्टि का हवाला देते हुए आयोजन की पहले से दी हुई अनुमति को रद्द कर दिया है। कहा जा रहा है कि यह अनुमति राजनीतिक द्वेष और दुर्भावनावश रद्द की गई है लेकिन सरकार को सुझाव है कि ऐसे आयोजनों को बढ़ावा देना चाहिए। जैसलमेर का तनोट राय माता तो एन बॉर्डर पर ही है और इन दिनों वहां हजारों पर्यटक रोजाना आते हैं। सुरक्षा की व्यवस्था हमारे रक्षकों ने बनाई हुई है। वाघा बॉर्डर पर प्रतिदिन ही हजारों पर्यटक आते हैं और वहां भी सुरक्षा की जबर्दस्त व्यवस्था कायम की हुई है। कायदे से तो राजस्थान के पर्यटन विभाग और केंद्र के पर्यटन मंत्रालय को इस आयोजन में भागीदारी करते हुए इसे नेक्स्ट लेवल पर ले जाने की कोशिश करनी चाहिए थी।
सौभाग्य से राजस्थान की पर्यटन मंत्री दीया कुमारी पर्यटन व्यवसाय की जानकार हैं और सौभाग्य से ही केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी राजस्थान से ही हैं, खासकर पश्चिमी राजस्थान से। संभवत: यह एक अवसर को चूकने जैसा है। सरकारों को आगे विचार करना चाहिए कि वह रोहिड़ी जैसे संभावनाशील स्थान को पर्यटन मानचित्र पर कैसे ला सकती है और इसके जरिए बाड़मेर के इस उपेक्षित क्षेत्र के लोगों के जीवन में क्या बदलाव कर सकती है। फिलहाल, रोहिड़ी चर्चा में आ गया है। आने वाले समय में इस पर चर्चा होती रहेगी और यहां के गरीब लोगों को रोजगार भी मिलेंगे ही। रविंद्र भाटी ने इतना तो कर ही दिया है कि अब रोडिड़ी चर्चा में है, और इसी से रोहिड़ी के दिन भी बहुरेंगे, भरोसा रखिए।