Ram Mandir: अयोध्या में बन रहे भव्य एवं विशाल राम मंदिर का ऐतिहासिक उदघाटन होने से पहले देश भर में हर तरफ जो राम लहर चल रही है, कर्नाटक की कांग्रेस सरकार उससे बौखला गई है। कांग्रेस (Congress) सरकार राम भक्तों के पुराने मुकदमें खंगाल रही है, उनकी गिरफ्तारी की तैयारी कर रही है और परेशान करने को कमर कस रही है। इस कुटिल कांग्रेसी अभियान की ताजा कड़ी में तीन दशक पहले हुए राम जन्म भूमि (Ram Janma Bhoomi) आंदोलन वाले सन 1992 के एक केस में पुलिस ने कर्नाटक (Karnataka) पुलिस ने श्रीकांत पुजारी को गिरफ्तार किया है। अयोध्या (Ayodhya) में होने वाले राम मंदिर (Ram Mandir) के 22 जनवरी को उदघाटन से पहले हिंदू (Hindu) धार्मिक संस्थाओं एवं विभिन्न हिंदू सामाजिक संगठनों ने मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की ताजा कार्रवाई की कड़ी निंदा की है।
Ram Mandir कार्यकर्ताओं पर गिरफ्तारी की तलवार
मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की तरफ से पुलिस विभाग को इन मामलों की व्यापक जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। कर्नाटक पुलिस द्वारा श्रीकांत पुजारी को गिरफ्तार किए जाने के बाद सन 1992 के राम जन्मभूमि आंदोलन में शामिल अन्य हिंदू कार्यकर्ताओं पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। सूत्र बताते हैं कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार की पुलिस 30 साल पहले राम मंदिर आंदोलन में भाग लेने वाले हिंदुओं के खिलाफ जांच में लग गई है। अब पुलिस उनके खिलाफ मुकदमा दायर करने से पहले संभावित नतीजों पर भी सोच रही है।
राम जन्म भूमि आंदोलन में सक्रिय रहे लोगों पर नजर
‘प्राइम टाइम’ को मिली एक खबर के मुताबिक, पुलिस विभाग ने एक विशेष टीम बनाई है, जो राम जन्म भूमि आंदोलन वाले सन 1992 के केस से जुड़े लोगों पर नजर रख रही है और उन पर क्या कार्रवाई की जा सकती है, इस पर बैठकें चल रही है। इस टीम ने 1992 के राम मंदिर आंदोलन से संबंधित मामलों में ‘संदिग्ध’ कारसेवकों व राम भक्तों की एक सूची तैयार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, इनमें से ज्यादातर लोग उम्रदराज हो चुके हैं और कई लोग वर्तमान समय में विभिन्न राजनीतिक पदों पर हैं, तथा कई या तो संसार छोड़ चुके हैं या फिर अपने गांव या शहर छोड़ चुके हैं।
सन 1992 के केस से फिर खोल रही कर्नाटक सरकार
राम जन्म भूमि आंदोलन में शामिल कई कारसेवकों, कार्यकर्ताओं तथा संस्थाओं से जुड़े लोगों और कट्टरपंथी मुस्लिमों के बीच हुई की हिंसा की वजह से सांप्रदायिक संघर्ष हुए थे। उसी दौरान 5 दिसंबर, 1992 को अल्पसंख्यक बहुल हुबली शहर में मलिक नामक एक व्यक्ति की दुकान में आग भड़क गई जिसका आरोप श्रीकांत पुजारी पर लगा था, उस पुराने मामले में हुबली पुलिस ने श्रीकांत पुजारी को हिरासत में ले लिया और फिलहाल अदालत की निगरानी में हैं। समन 1992 के इस केस में पुजारी सहित कुल 9 लोगों पर आरोप है, लेकिन पुजारी के बाद पुलिस इस केस में अन्य 8 आरोपियों की तलाश कर रही है।
कांग्रेस पर राम मंदिर का माहौल बर्दाश्त न करने का आरोप
सूत्रों का दावा है कि पुलिस कई पुराने मामले फिर खोले जाने की तैयारी है और यह भी खबर है कि हुबली पुलिस ने 1992 के मामलों सं जुड़े करीब 300 लोगों की एक सूची बनाई है। पुलिस ये मानकर चल रही है कि ये सारे ही 300 लोग 1992 और 1996 के बीच हुए सांप्रदायिक सदभाव बिगाड़ने के मामलों से जुड़े रहे हैं। कांग्रेस सरकार अयोध्या में श्री राम मंदिर के उदघाटन के बीजेपी और हिंदू संगठनों के घर-घर अभियान को बर्दाश्त नहीं कर पा रही है। इसलिए ही वो 30 साल पहले के केस की जाँच शुरू करने का दांव खेलकर देश में माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रही है।
(ऑपइंडिया से इनपुट के आधार पर)