Manmohan Singh: मनमोहन सिंह जब तक जिंदा रहे, हर स्तर पर सम्मानित होते रहे, लेकिन मरने के बाद दुनिया भर में उनकी प्रशंसा हो रही है। हालांकि, प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद मनमोहन सिंह बीते दस साल से लगभग निर्वासित जीवन ही जी रहे थे, बीमार रहते थे, और सक्रिय राजनीति से भी किनारे हो गए थे। दशक भर के इस दौर में किसी भी देश के किसी भी राजनेता या राजनयिक ने डॉ मनमोहन सिंह की कोई खैर खबर नहीं ली, लेकिन उनकी मौत के बाद अचानक सभी उनको विश्व नेता के रूप में याद करने लग गए हैं। विश्व नेताओं ने मनमोहन सिंह के निधन पर शोक जताया, उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और भारत की प्रगति में उनके नेतृत्व और योगदान पर प्रकाश डाला। कई वैश्विक नेताओं सहित ब्रिटिश मीडिया ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मनमोहन सिंह की प्रशंसा की है।
अमेरिका से रणनीतिक साझेदारी के बड़े समर्थक थे मनमोहन
भारत के आर्थिक सुधारों और वैश्विक साझेदारी के प्रमुख शिल्पकार के रूपह में विख्यात पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के लोगों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता है। डॉ. सिंह अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी के सबसे बड़े समर्थकों में से एक थे और उनके काम ने पिछले दो दशकों में हमारे देशों द्वारा मिलकर हासिल की गई अधिकांश उपलब्धियों की नींव रखी। उन्होंने कहा कि अमेरिका – भारत असैन्य परमाणु सहयोग समझौते को आगे बढ़ाने में उनके नेतृत्व ने अमेरिका-भारत संबंधों की क्षमता में एक बड़े निवेश का संकेत दिया। उन्होंने डॉ. सिंह के आर्थिक सुधारों के योगदान का भी उल्लेख किया जिसने भारत के विकास को गति दी और संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच संबंधों को मजबूत किया। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा कि संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के लोगों को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. सिंह के निधन पर अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता है। डॉ. सिंह अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी के सबसे बड़े समर्थकों में से एक थे, और उनके काम ने हमारे देशों की बहुत सी उपलब्धियों की नींव रखी।
कनाड़ा ने कहा – असाधारण बुद्धिमान व ईमानदार थे मनमोहन
लंदन के सबसे प्रमुख अखबार ‘द गार्जियन’ ने एक लेख में लिखा है कि डॉ सिंह को उनके शर्मीलेपन और पर्दे के पीछे रहने की प्राथमिकता के कारण भारत का ‘अनिच्छुक प्रधानमंत्री’ कहा जाता था, उन्हें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेतृत्व करने के लिए एक अप्रत्याशित विकल्प माना जाता था। लेकिन जब कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने 2004 में अपनी पार्टी को आश्चर्यजनक जीत दिलाई, तो उन्होंने सिंह को प्रधानमंत्री बनाने का फैसला किया। लेख में कहा गया है कि उन्होंने भारत की उतार – चढ़ाव भरी राजनीति में प्रधानमंत्री के रूप में दो कार्यकाल पूरे किए और उन्हें तेजी से आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का श्रेय दिया जाता है, जिसने लाखों भारतीयों को गरीबी से बाहर निकाला। कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने डॉ. सिंह की मृत्यु पर अपना दुख व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर लिखा कि मुझे अपने पूर्व सहयोगी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ। वे असाधारण बुद्धिमत्ता, ईमानदारी और ज्ञान के व्यक्ति थे। लॉरेन और मैं उनके परिवार और दोस्तों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करना चाहते हैं। भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने एक्स पर भारत-रूस संबंधों को मजबूत करने में डॉ. सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में लिखा, एक अर्थशास्त्री के रूप में उनकी विशेषज्ञता और भारत की प्रगति के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता का उल्लेख किया। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने कहा – मनमोहन सिंह के निधन की खबर सुनकर बहुत दुख हुआ। मुझे उनके साथ काम करना हमेशा अच्छा लगता था और वे एक दयालु पिता की तरह थे। वे मालदीव के अच्छे दोस्त थे।
बीबीसी बोला – उदारवादी आर्थिक सुधारों के वास्तुकार थे मनमोहन
वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठित समाचार संस्थान बीबीसी ने एक लेख में डॉ सिंह को भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधानमंत्रियों में से एक के रूप में याद किया, जिन्हें ‘प्रमुख उदारवादी आर्थिक सुधारों का वास्तुकार माना जाता है। सिंह 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे। इससे पहले वह देश के वित्त मंत्री भी रहे थे। भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त लिंडी कैमरन ने डॉ सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सोशल मीडिया पर कहा कि वह एक महान प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और वैश्विक राजनेता थे जिन्होंने साहसिक आर्थिक सुधारों के माध्यम से भारत के हितों को आगे बढ़ाया। कैमरन ने कहा कि सिंह ने वैश्विक मंच पर भारत को उसका उचित स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और साथ ही वित्तीय संकट के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाने में मदद की। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के तीन प्रधानमंत्रियों के साथ उनकी अमूल्य साझेदारी पर ब्रिटेन को हमेशा गर्व रहेगा। हमारे दो महान विश्वविद्यालयों के पूर्व छात्र के रूप में उन पर गर्व रहेगा। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और भारत के लोगों के साथ हैं। भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सिंह के दो कार्यकाल के दौरान ब्रिटेन में तीन प्रधानमंत्री रहे जिनमें टोनी ब्लेयर, गॉर्डन ब्राउन और डेविड कैमरन शामिल हैं। सिंह ने ब्रिटेन के कैंब्रिज और ऑक्सफॉर्ड विश्वविद्यालयों से पढ़ाई की थी।
-आकांक्षा कुमारी
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