Ajmer: दुनिया भर में प्रसिद्ध ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Chishti) की अजमेर स्थित दरगाह इन दिनों अचानक देश भर में चर्चा का विषय है। ख्वाजा गरीब नवाज (Khawaja Gareeb Nawaz) के नाम से मशहूर इस दरगाह पर हर साल लाखों मुसलमान माथा टेकने आते हैं और इस शहर को अजमेर शरीफ कहते हैं। अजमेर दरगाह (Ajmer Dargah) को हिंदू मंदिर बताने वाली एक याचिका को कोर्ट ने स्वीकार करके ली सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया है, तबी से अजमेर सुर्खियों में है। देश भर में राजनीति गरमाने लगी है। हिंदू और मुसलमान, दोनों समुदायों के धार्मिक नेताओं सहित लगभग सभी पार्टियों के नेताओं के बयान आ रहे हैं और मामला गरमाता देख प्रशासन सकते में हैं, तो सरकार हर हरकत पर नजर रखे हुए है। लेकिन अजमेर को लोग सकते में हैं कि कहीं माहौल न बिगड़ जाए। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि प्रगधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद तो अजमेर दरगाह पर चादर चढ़ाते हैं और उन्हीं के लोग भ्रम पैदा कर रहे हैं।
देश भर में नेताओं के बयानों का दौर जारी
अजमेर की दरगाह को हिंदू मंदिर बताने वाली याचिका पर कोर्ट के इस नोटिस के बाद अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर नई बहस छिड़ गई है। अजमेर के पुराने लोग भी कहते हैं कि व इस दरगाह में शिव मंदिर की बात बचपन से ही सुनते आए हैं, तो मुस्लिम पक्ष इसे हिंदू मंदिर बताने को लेकर आक्रोशित है। अजमेर शरीफ के खादिमों की संस्था अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती, अजमेर दरगाह के प्रमुख और उत्तराधिकारी नसरुद्दीन चिश्ती, एआईएमआईएम के नेता सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के इस आदेश की आलोचना की है। कांग्रेस के नेता अशोक गहलोत सहित इस मामले की अदालत ने 20 दिसंबर को अगली सुनवाई की तारीख तय की है। इसके साथ ही विष्णु गुप्ता का नामक वह व्यक्ति भी सुर्खियों में है, जिसने अजमेर दरगाह पर मंदिर होने को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की है।
प्रधानमंत्री भी दरगाह पर चादर चढ़ाते रहे हैं
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस मुद्दे पर कहा है कि एक कानून पारित किया गया कि 15 अगस्त 1947 तक जो भी विभिन्न धर्मों के पूजा स्थल बने हैं, उन पर सवाल नहीं उठाए जाएंगे। भाजपा – आरएसएस की सरकार बनने के बाद से ही कुछ लोग धर्म के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। सभी चुनाव ध्रुवीकरण करके जीते जा रहे हैं। गहलोतद ने एक बयान में कहा है कि सत्ता में बैठी सरकार की जिम्मेदारी है कि वह विपक्ष को साथ लेकर चले और विपक्ष के विचारों का सम्मान करे, जो कि वह नहीं कर रही है। उनका कहना है कि आरएसएस हिंदुओं को एकजुट नहीं कर पा रही है और उसे देश में भेदभाव को खत्म करने के लिए अभियान चलाना चाहिए। देश भर से लोग अजमेर दरगाह पर इबादत करते हैं। गहलोत ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सभी प्रधानमंत्री अजमेर दरगाह पर चादर चढ़ाते रहे हैं। वे भी चादर चढ़ा रहे हैं और उधर, उन्ही की पार्टी के लोग कोर्ट में जाकर भ्रम पैदा कर रहे हैं। इससे किस तरह का संदेश फैलाया जा रहा है? पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा है कि जहां अशांति है, वहां विकास नहीं हो सकता।
सन 1911 में लिखी पुस्तक में मंदिर का दावा
अजमेर निवासी जज हरबिलास शारदा नामी कानूनविद रहे हैं, उनकी ‘अजमेरः ऐतिहासिक और वर्णनात्मक’ नामक एक पुस्तक है जो सन 1911 में उन्होंने लिखी थी। इस पुस्तक में लिखा गया है कि ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की जमीन पर पहले शिव मंदिर था, वहां पूजा पाठ और जलाभिषेक किया जाता रहा है। इसके साथ ही दरगाह परिसर में एक जैन मंदिर होने के बारे में भी इस पुस्तक में दावा किया गया है। इसी पुस्तक के आधार पर दरगाह के हिंदू मंदिर होने का दावा दिल्ली निवासी विष्णु गुप्ता ने किया है। गुप्ता हिंदू राष्ट्र सेना के अध्यक्ष हैं, उनकी ओर से एडवोकेट ईश्वर सिंह और रामस्वरूप बिश्नोई ने दरगाह कमेटी के मंदिर पर कथित अनाधिकृत कब्जे को हटाने को लिए याचिका दायर की गई है, जिसे स्वीकारते हुए अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
दुनिया भर में प्रसिद्ध है ख्वाजा की दरगाह
दुनिया भर के मुसलमानों में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह भारत के सबसे अधिक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मानी जाती है। यहां ईरान (फारस) से आए सूफी संत ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की समाधि है। दरगाह का निर्माण मुग़ल बादशाह हुमायूं ने करवाया था। ख़्वाजा की धर्म निरपेक्ष शिक्षाओं के कारण इस दरगाह पर आम तौर पर सभी धर्मों के लोग जाते हैं, फूल चढ़ाते हैं, मत्था टेकते हैं और हर रोज हजारों की संख्या में लोग अपनी मन्नत लेकर पहुंचते हैं। लेकिन अब इस दरगाह के विवाद में आने से अजमेर में अशांति का तो खतरा है ही, लोगों की आस्था पर भी खतरा है।
-आकांक्षा कुमारी
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