Milind Deora Quits Congress: राहुल गांधी की निजी टीम लगातार टूट रही है। राहुल के साथियों द्वारा उनको और उनकी पार्टी कांग्रेस को छोड़े जाने के बाद अब उनकी छवि सुधारने की कोशिश में निकल रही ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के मौके पर ही उनके एक करीबी दोस्त से ही बड़ा झटका मिला है। मिलिंद देवड़ा कांग्रेस आलाकमान के नजदीकी रहे मुरली देवड़ा के बेटे हैं और पार्टी से देवड़ा परिवार का 55 साल का नाता रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने कभी भले ही कहा था कि वह कांग्रेस छोड़कर कभी नहीं जाएंगे, लेकिन बदले हुए राजनीतिक हालत में राहुल के बाकी करीबियों की तरह मिलिंद देवड़ा ने भी नया रास्ता पकड़ लिया है। मिलिंद ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर खुद ने ही सोशल मीडिया पोस्ट पर बताया कि उन्होंने आज कांग्रेस पार्टी से अपने परिवार का 55 साल पुराना रिश्ता तोड़ लिया है। राहुल गांधी के ज्यादातर करीबी साथी कांग्रेस पहले ही छोड़ चुके हैं और देवड़ा व सचिन पायलट आखरी साथी बचे थे। उनमें से भी मिलिंद के राहुल को झटका देने के बाद पायलट भी अब कांग्रेस में कब तक रहेंगे, कोई नहीं जानता।
Milind Deora Quits Congress : मिलिंद जैसा झटका पायलट भी दे सकते हैं?
मिलिंद देवड़ा का कांग्रेस छोड़ने का कदम आगे बढ़ने के साथ ही राहुल गांधी को नेता बनाने के लिए विशेष रूप से तैयार की गई उनकी निजी मंडली के आखिरी बचे हुए नेता सचिन पायलट भी नया रास्ता तलाशने को तैयार हो सकते हैं, क्योंकि उनके लिए भी कांग्रेस में बड़ी राजनीति करने की संभावना लगभग क्षीण हो चुकी है। वैसे भी, पायलट पर राजस्थान में हाल ही के विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत के नेतृत्व में अपनी ही पार्टी को फिर सत्ता में ना आने देने के लिए कई जगहों पर कांग्रेस उम्मीदवारों को हरवाने के आरोप लग चुके हैं। पायलट दोनों को शक के नज़रिए से देखा जाने लगा है। इसलिए सन 2020 में पायलट को राजस्थान में उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जैसे दोनो महत्वपूर्ण पदों से बर्खास्त करने का फैसला लेने वाले राजस्थान कांग्रेस के तत्कालीन प्रभारी अविनाश पांडे को उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है, जहां चुनाव भी जल्दी है। जबकि उनके मुकाबले पायलट को बहुत कम महत्व के और यूपी से 25% विधानसभा सीटों वाले छत्तीसगढ़ जैसे छोटे से प्रदेश का प्रभार मिला है, जहां अगले 5 साल बाद चुनाव है। कांग्रेस छोड़कर मिलिंद के राहुल गांधी को झटका देने के ताज़ा कदम के बाद अब सबकी निगाहें सचिन पायलट पर हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी की टीम का यह आखिरी विकेट भी कभी भी गिर सकता है। वैसे भी कांग्रेस में सचिन पायलट की ताजा राजनीतिक हरकतों को देखते हुए पिछले कई दिनों से उनको शक के नजरिए से देखा जाने लगा है।
मिलिंद देवड़ा की कांग्रेस छोड़ने की तैयारी की कई दिनों से खबरें आ रही थी। वे बीजेपी के समर्थन से मजबूत हुई एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के उम्मीदवार के रूप में दक्षिण मुंबई से लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। वर्तमान राजनीतिक हालात में मिलिंद के लिए संसद में पहुंचने का यही एकमात्र अवसर है, क्योंकि वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में कांग्रेस में उनके लिए चुनाव जीतने की संभावना लगभग समाप्त हो चुकी थीं। दरअसल, मिलिंद के इस रास्ते से राजनीति में नया बदलाव होगा, क्योंकि एक तो दक्षिण मुंबई में कांग्रेस और शिवसेना दोनों का बड़ा मतदाता वर्ग उनका समर्थन करेगा, और दूसरा बीजेपी के वोट भी अजित पवार के एकजुट होते ही सबसे मजबूत हालात बनेंगे, क्योंकि चार पार्टियां मिलकर उद्धव ठाकरे की बची खुची शिवसेना को आसानी से चित कर सकेगी। मिलिंद देवड़ा की राजनैतिक महत्वाकांक्षा कांग्रेस में पूरी नहीं हो पा रही थी और राहुल गांधी की राजनीतिक गंभीरता पर भी कई सवालिया निशान लग चुके हैं। अतः मिलिंद का कांग्रेस से निकलकर अलग रास्ता बनाना ज़रूरी हो गया था।
कांग्रेस में अपनी हालत से परेशान थे मिलिंद
कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता रहे मुरली देवड़ा के बेटे मिलिंद देवड़ा (Milind Deora) दक्षिण मुंबई से दो बार सांसद रहे हैं एवं मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्र में मंत्री भी रहे हैं। मिलिंद के पिता मुरली देवड़ा भी दो दशक से ज्यादा समय तक मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष पांच बार सांसद और केंद्र में मंत्री रहे। मिलिंद फिलहाल कांग्रेस में सह कोषाध्यक्ष थे, लेकिन पार्टी में सह कोषाध्यक्ष की कोई खास अहमियत नहीं है, यह सब जानते हैं। दो बार लगातार सांसद व एक बार केंद्र में मंत्री बनने के बावजूद कांग्रेस में मिलिंद को खास जगह नहीं मिली। इधर लगातार दो बार हारने के बाद लोकसभा का तीसरा चुनाव आ गया है। कांग्रेस में अपनी वर्तमान स्थिति से मिलिंद देवड़ा नाखुश थे और पिछले 10 साल से लगातार अपना सम्मानजनक समायोजन नहीं होने से परेशानी महसूस कर रहे थे। फिर मिलिंद अगर कांग्रेस अगर उम्मीदवार बनते भी तो उनके लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार उनकी हर तय मानी जा रही थी। जिसके लिए मिलिंद का राजनीतिक व्यवहार और किसी से संपर्क संबंध नहीं रखना भी एक सबसे बड़ा कारण है। इसीलिए फिर संसद में जाने की जुगत में मिलिंद देवड़ा अब कांग्रेस छोड़कर एकनाथ शिंदे की शिवसेना शिंदे में जाने की तैयारी कर चुके हैं। जानकार बताते हैं कि एकनाथ शिंदे से इस बारे में उनकी प्राथमिक बातचीत हो चुकी है। हालांकि अभी बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रपति कांग्रेस में महाराष्ट्र में सीटों के बंटवारे पर कोई फैसला नहीं हुआ है। लेकिन राजनीति के जानकार मानते हैं कि ऐसा होता है तो मिलिंद सबसे मजबूत उम्मीदवार होंगे, जो शिवसेना को बहुत आसानी से धूल चटा सकेंगे।
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राहुल गांधी के कई साथी बिछुड़े सब बारी बारी
मिलिंद देवड़ा तो कांग्रेस से अब निकले हैं, लेकिन उनसे पहले राहुल गांधी की निजी टीम के कई नेता उनको छोड़कर जा चुके हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह जैसे कांग्रेस के नेता बीजेपी में जा चुके हैं। राहुल की निजी टीम में से अंतिम रूप से केवल मिलिंद और सचिन पायलट ही कांग्रेस में बचे थे, और दोनों भी अपनी स्थिति से कोई बहुत खुश नहीं रहे। राहुल गांधी के सबसे करीबी होने के बावजूद दोनों को पार्टी में पिछले 10 साल में वह महत्व नहीं मिला जो करीबी लोगों को मिलता रहा है। लेकिन अब जब लोकसभा चुनाव सर पर हैं और कांग्रेस गठबंधन के लिए सिम बांटने की तैयारी में आगे बढ़ रही है और उधर राहुल गांधी भारत जोड़ो नया यात्रा पर हैं, ऐसे में मिलिंद का कांग्रेस छोड़कर जाना पार्टी के लिए तो झटका है ही, विशेष रूप से राहुल गांधी के लिए बड़ा झटका है। खास बात यह है कि आमचुनाव के मौके पर कांग्रेस को हराने के लिए कांग्रेस छोड़कर मिलिंद का विरोधी पार्टी से उम्मीदवार बनना कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत माना जा रहा है।
पायलट अब कांग्रेस में रहकर क्या करेंगे?
अपने खास दोस्त मिलिंद देवड़ा के भी कांग्रेस से निकल जाने के बाद सचिन पायलट के लिए भी कांग्रेस में आगामी समय में भी स्थितियां कोई खास अच्छी नहीं होने वाली और उनको भी लगातार शक की नजर से देखना राजनीतिक रूप से वाजिब भी है, क्योंकि जब एक-एक करके सारे साथी भी निकल गए हैं और पायलट का कांग्रेस में रहकर भी कांग्रेस विरोधी आचरण सार्वजनिक हो चुका है, तो अंतिम बचे हुए साथी पर भी शक बहुत वाजिब है। वैसे, सचिन पायलट सक्रिय नेता है और अपने मित्र मिलिंद देवड़ा की तरह निष्क्रिय रहने के पक्षधर कभी नहीं रहे। वे जननेता है और जनता के बीच में रहना उनको पसंद है। मगर कांग्रेस में वर्तमान हालात उनके हक में न होने के कारण मिलिंद देवड़ा की तरह पायलट भी परेशानी ही झेल रहे हैं। देखते हैं अब सचिन पायलट कांग्रेस में कितने दिन टिके रहते हैं। (प्राइम टाइम)
◆निरंजन परिहार
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)