Loksabha Election Rajasthan: राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीतने के साथ ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (Bhajanlal Sharma) के नेतृत्व में सरकार बनाने के बाद बीजेपी (BJP) अब लोकसभा चुनाव की तैयारी में है। चुनाव सामने हैं और बीजेपी में प्रदेश की सभी 25 सीटें जीतने को लेकर तैयारी शुरू हो चुकी है। कांग्रेस के पास प्रदेश की 25 में से फिलहाल एक भी सीट नहीं है। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस (Congress) के पास अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने का ये बेहतर अवसर है, जिसमें वह सीट तो शायद ही बढ़ा सके, लेकिन लोकसभा चुनाव (Parliament Election) में वोट शेयर बढ़ाने की कोशिश जरूर कर सकती है। बीजेपी एक बार फिर प्रदेश की सभी 25 सीटें जीतकर हैट्रिक बनाना चाहती है, तो कांग्रेस अपनी हार से उबरने के प्रयास में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के नेतृत्व में नए सिरे से समूचे राजस्थान (Rajasthan) में एकजुट होती दिख रही है।
Loksabha Election Rajasthan बीजेपी में सबका लक्ष्य तय
राजस्थान की राजनीति के जानकार कहते हैं कि सभी 25 सीटों पर जीतना अब बीजेपी के सभी नेताओं के लिए सबसे अहम चुनौती है। बीजेपी में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सहित मुख्यमंत्री बनने से वंचित रहने वाले भी, सभी नेता लोकसभा चुनाव जिताने में लगेंगे। क्योंकि अब, तब तक किसी के लिए भी कोई भी नई गुंजाइश तभी बनेगी, जब तक कि वह रिजल्ट देगा। वसुंधरा राजे वर्तमान राजनीतिक तस्वीर में क्यां सोच रही है, कोई नहीं जानता और बाकी दिग्गजों के लिए सक्रियता से काम करने के सारे रास्ते खुले हैं। आखिर बीजेपी को प्रदेश की सभी 25 सीटों पर बीजेपी को जीत हासिल करनी है और यही नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सहित सतीश पूनिया, अरुण चतुर्वेदी, अशोक परनामी जैसे पूर्व प्रदेश अध्यक्षों के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी है, तो राजेंद्र राठोड और सुभाष महरिया जैसे बड़े नेताओं के लिए भी यही लक्ष्य तय है।
कांग्रेस में गहलोत के नेतृत्व में तैयारी
कांग्रेस राजस्थान के अपने सबसे बड़े नेता अशोक गहलोत के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का बड़बोलापन सभी 25 सीटों पर कांग्रेस को जिता रहा है, लेकिन संगठन के जो हालात वास्तविक रूप से बेहद खराब है, उससे नतीजों को जनता समझ रही है और कांग्रेस भी जान रहे हैं। इस चुनाव में कांग्रेस को हराने का ठीकरा जिसके माथे पर फूटा है, वह सचिन पायलट अब राजस्थान की सीधी चुनावी गणित से बाहर है। किसी को नहीं लगता कि लोकसभा चुनाव में वे कोई बहुत महत्वपूर्ण भूमिका में राजस्थान में सक्रिय रहेंगे, क्योंकि वे जिस प्रदेश के प्रभारी है, उस छत्तीसगढ़ में भी लोकसभा चुनाव है। हालामकि सी-वोटर चुनावी सर्वे एजेंसी ने कांग्रेस को 0 से 2 सीटों पर जीत की उम्मीद बंधाई है, लेकिन ये भी मिल ही जाएगी, कोई कांग्रेस नेता दावे के साथ नहीं कह सकता।
आंकडों के खेल में कौन कहां
राजनीतिक आंकड़ों का अध्ययन करनेवाले बताते हैं कि इस बार के विधानसभा चुनाव (Loksabha Election Rajasthan) में कांग्रेस को भले ही हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन उसका वोट शेयर बढ़ा है। वोट शेयर के हिसाब से देखा जाए तो बीजेपी को 41.69 फीसदी वोट मिले, वहीं, कांग्रेस को 39.53 प्रतिशत वोट मिले। पांच साल पहले 2018 में राजस्थान में हुए विधानसभा चुनावों पर गौर करें तो तब बीजेपी को 39.3 फीसदी और कांग्रेस को 39.8 फीसदी वोट मिले थे, उस समय बीजेपी 73 सीटों पर विजयी हुई थी और कांग्रेस को 99 सीटें मिली थीं। इस बार वोट बढ़ा, लेकिन 30 सीटें कम जीती। जानकार बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस को मिलनेवाला वोटिंग परसेंटेज अगर दलों के पक्ष में इसी शक्ल में रहता है, तो कांग्रेस को राजस्थान में 8 से 10 सीटें जीतने की उम्मीद है, लेकिन ऐसा होता हुआ नहीं दिखता, क्योंकि लोकसभा चुनाव का मत प्रतिशत अलग किस्म के असर डालता है।
क्या कहती है चुनावी एजेंसियां
जानकार कहते हैं कि बीजेपी अगर वोटिंग परसेंटेज बढ़ाने में कामयाब नहीं होती है तो राजस्थान की 25 में से केवल 14 से 15 सीटें ही उसके खाते में जा सकती है। लेकिन बीजेपी की कोसिश है कि लोकसभा चुनाव में उसे 55 फीसदू से ज्यादा वोट हासिल हो और देश में वह सबसे ज्यादा बहुमत से इस बार चुनाव जीते। हालांकि हाल ही में सामने आए सी-वोटर के सर्वे के अनुसार वोटिंग पैटर्न स्विंग करता दिखाई दे रहा है, जिसका फायदा सीधे तौर पर भाजपा को मिल सकता है। चुनावी रणनीति पर काम करनेवाली अजेंसी प्राइम टाइम की रिपोर्ट में भी लोकसभा चुनाव में राजस्थान में इस बार सभी 25 सीटों पर बीजेपी जीतती हुई दिख रही है। चुनावी सर्वे एजेंसी पॉलिटिकल एज का कहना है कि राजस्थान का वोटिंग पैटर्न लोकसबा और विधानसभा में अलग अलग होता है। इस कारण कांग्रेस को काफी मेहनत करनी होगा।
-राकेश दुबे
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