BJP: संसार का सबसे बड़ा राजनीतिक दल होने का तमगा बीजेपी के सीने पर लगा है। इपनी सदस्य संख्या के बल पर निश्चित तौर से वह है भी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी। लेकिन पार्टी बड़ी, तो मुश्किलें भी बड़ी। शायद कुछ ज्यादा ही बड़ी। बीजेपी अपने सबसे बड़े पद अध्यक्ष के लिए कोई नाम नहीं तलाश पा रही। नया अध्यक्ष चुनने के मामले में सांसें फूल रही हैं। संगठन चुनाव रूका हुआ है। जेपी नड्डा का कार्यकाल खत्म हुए बहुत वक्त बीत चुका। एक व्यक्ति, एक पद की परंपरा की राजनीति के जमाने में नैतिकता की दुहाई देने वाली बीजेपी के लिए ये असमंजस की स्थिति है। नड्डा अपना कार्यकाल खत्म हो जाने के बावजूद राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं और केंद्र सरकार में मंत्री भी, दो – दो पद सम्हाले हुए हैं। नया अध्यक्ष चुनने के लिए, हर बार कोई न कोई बहाना निकाल लिया जाता है।
रह रह कर रुकती रही है अध्यक्ष की घोषणा
राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जून 2024 को खत्म हो चुका है। फिलहाल नड्डा एक्सटेंशन पर हैं। साल भर हो गया, लेकिन नए अध्यक्ष को चुनने का इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा। बहाने पर बहाने बनाए जा रहे हैं। अब कहा जा रहा है कि पहलगाम आतंकवादी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद राष्ट्रीय स्तर पर चल रही तिरंगा यात्रा की वजह से अध्यक्ष पद की घोषणा रूकी हुई है। हालांकि, इससे पहले पता नहीं किस – किस कारण से ये घोषणा रूकती रही। पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की वजह से रूका था और उससे पहले लोकसभा चुनाव की वजह से रूका था। इससे भी पहले कभी केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल तो कभी किसी और बहाने से, हर बार कोई न कोई नया बहाना पेश कर दिया जाता है। आगे राज्यसभा चुनाव है, बहुत संभलव है उसके बहाने बीजेपी अध्यक्ष पद की नियुक्ति फिर से टाल दी जाए। फिलहाल, देश में बीजेपी की 36 प्रदेश इकाइयों में से सिर्फ 14 प्रदेश इकाईयों में ही बीजेपी संगठन के चुनाव हो सके है। वहां प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त हो गए हैं। लेकिन हाकी प्रदेशों में चुनाव नहीं हो रहे हैं। इस बारे में बीजेपी की ओर से आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा जा रहा है।

गुजरात, महाराष्ट्र में प्रदेश अध्यक्ष डबल रोल में
दरअसल, बीजेपी भले ही बेहद अनुशासन वाली पार्टी है और नेतृत्व बहुत ताकतवर है। फिर भी, हर प्रदेश में स्थानीय नेतृत्व की कोई खास समस्या खड़ी है, और आपकी टकराव, जातिगत समीकरण एवं भौगोलिक समायोजन की वजह से निर्णय नही हो पा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के होम स्टेट गुजरात में भी प्रदेश अध्यक्ष का फैसला नहीं हो पा रहा है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल केंद्र में मंत्री हैं और प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। पटेलों में से भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री हैं, तो किसी पिछड़े या वैश्य को गुजरात में कमान दी जा सकती है। महाराष्ट्र में भी प्रदेश अध्यक्ष पद के नाम पर सहमति नहीं बन पाने की वजह से नियुक्ति रूकी है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले प्रदेश की सरकार में मंत्री भी हैं और प्रदेश अध्यक्ष भी हैं।
तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में भी प्रदेश अध्यक्ष
दक्षिण भारत में तेलंगाना में जी किशन रेड्डी प्रदेश अध्यक्ष हैं और वे केंद्र में मंत्री भी हैं। बीजेपी वहां किसी कट्टर हिंदू चेहरे को कमान सौंपना चाहती है। लेकिन सामाजिक समीकरण साधने की चिंता भी बहुत बड़ी है। तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव की पार्टी से आए नेता भी प्रदेश अध्यक्ष पद की दावेदारी कर रहे हैं तो पार्टी के किसी पुराने चेहरे को आगे करने की भी दुविधा बहुत बड़ी है। पश्चिम बंगाल में पार्टी संगठन के भीतर विवाद बहुत बढ़ गया है। सांसद दिलीप घोष खुल कर विधायक दल के नेता सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ आ गए हैं, घोष पूर्व में प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। उनका कहना है कि बाहर से आए नेताओं की वजह से पार्टी को नुकसान हो रहा है। चर्चा है कि वर्तमान अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को ही बनाए रखा जा सकता है। लेकिन उनको केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। इसी चक्कर में प्रदेश अध्यक्ष का फौसला अटका हुआ है।

उत्तर प्रदेश में योगी की पसंद की वजह से अडंगा
देश के सबसे बड़े प्रदेश यूपी में भी अध्यक्ष का फैसला नहीं हो पा रहा है। जहां लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ा था। प्रदेश अध्यक्ष का फैसला न होने के कारण योगी सरकार में फेरबदल की अटका हुआ है। खबर है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बहुत भारी पड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जिसे अध्यक्ष बनाना चाहते हैं, योगी के वे नाम स्वीकार नहीं है। इसी कारण सहमति नहीं बन पा रही है। मामला, ब्राह्मण या पिछड़े अध्यक्ष पर अचका है। झारखंड में भी यही हाल है। वहां बाबूलाल मरांडी प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष हैं और विधायक दल के नेता भी बने हुए हैं। बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व किसी गैर आदिवासी को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहता है लेकिन सवर्ण हो या पिछड़ा या फिर दलित को प्रदेश संगठन की कमान सौंपी जाए, इसका फैसला नहीं हो पा रहा है।
संघ परिवार से सहमति बनाने की कोशिश
माना जा रहा है कि बीजेपी में नए अध्यक्ष को लेकर संघ से सहमति बनाने का प्रयास जारी है। संघ प्रमुख मोहन भागवत से जैसे ही सहमति बन जाएगी, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा। संघ चाहता है कि बीजेपी सहित सभी सहयोगी संगठनों में विचारधारा के प्रति समर्पित युवा नेताओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। संघ परिवार चाहता है कि विचारधारा और संगठन के प्रति समर्पण ही किसी भी व्यक्ति को जिम्मेदारी देने का एक मात्र पैमाना होना चाहिए। जबकि बीजेपी नेतृत्व दूसरी पार्टियों से आए ताकतवर नेताओं को भी अवसर देने की मंसा के साथ काम कर रहा है। पार्टी का कोई भी वरिष्ठ नेता इस मामले पर जुबान खोलने को तैयार नहीं है। नई दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में इन दिनों एक ही सवाल चर्चा में है कि पार्टी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कब मिलेगा, और मिलेगा, तो वह कौन होगा?
-राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार)
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