Close Menu
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • सत्ता- सियासत
  • व्यक्ति विशेष
  • समाज – संस्कृति
  • कारोबार
  • ग्लैमर
  • वीडियो
  • प्रेस रिलीज़
Facebook X (Twitter) Instagram
ट्रेंडिंग:
  • BJP Nitin Nabin: बीजेपी ने फिर चौंकाया… राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन !
  • Rajasthan: विकास और निवेश का नया अध्याय लिखता राजस्थान
  • Putin: मोदी से पुतिन की ऐतिहासिक मुलाकात और वैश्विक मंच पर भारत के लाभ
  • IndiGo: हवाई सेवाओं से हाहाकार, मगर कर क्या रही सरकार?
  • Bhajanlal Sharma: बीजेपी की सीएम प्रयोगशाला के सफल प्रोडक्ट साबित होते भजनलाल
  • Vishwanath Sachdev: यूं ही कोई विश्वनाथ, सचदेव नहीं हो जाता…!
  • Rajasthan: दो नेताओं की सजह मुलाकात या अगले प्रदेश अध्यक्ष की तैयारी ?
  • Akshay Kumar: राजस्थान में फिल्म विकास पर मुख्यमंत्री से अक्षय कुमार की मुलाकात के मायने
14th December, Sunday, 11:58 PM
Facebook X (Twitter) Instagram
Prime Time BharatPrime Time Bharat
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • सत्ता- सियासत
  • व्यक्ति विशेष
  • समाज – संस्कृति
  • कारोबार
  • ग्लैमर
  • वीडियो
  • प्रेस रिलीज़
Prime Time BharatPrime Time Bharat
Home»सत्ता- सियासत»Rajasthan Politics : कांग्रेस में बगावत की पहली दास्तान, जयनारायण व्यास को झटका, सुखाड़िया आसीन
सत्ता- सियासत 7 Mins Read

Rajasthan Politics : कांग्रेस में बगावत की पहली दास्तान, जयनारायण व्यास को झटका, सुखाड़िया आसीन

Prime Time BharatBy Prime Time BharatNovember 27, 2023No Comments
WhatsApp Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Reddit Tumblr Email
Rajasthan Politics
Rajasthan Politics
Share
WhatsApp Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

जय नारायण व्यास को लोग जानते भी हैं और नहीं भी जानते। मगर जो लोग जानते हैं, वे मानते हैं कि उनके जैसा दमदार नेता मारवाड़ में न कोई हुआ है और न होगा। जोधपुर में जन्मे और जवानी में कदम रखने के दिनों से ही स्वतंत्रता सेनानी रहे जय नारायण व्यास कांग्रेस के नेता रहे। खास बात यह है कि तब कांग्रेस ही थी, कोई और पार्टी वैसे भी थी नहीं। सन 1927 में ‘तरुण राजस्थान’ समाचार पत्र के दम पर स्वाधीनता संग्राम को ताकत देते हुए स्वयं भी लगातार ताकवर हो रहे थे और अपनी मेहनत व काबिलियत के दम पर जवाहर लाल नेहरू के करीबी भी थे।  जय नारायण व्यास सन 1951 से 1954 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। वैसे, इस बीच में कुछ समय के लिए टीकाराम पालीवाल भी मुख्यमंत्री बने। हालांकि, जयनारायण व्यास 1948  में जोधपुर राज्य की लोकप्रिय सरकार के मुख्यमंत्री बने थे। पर यह सरकार एक साल ही चली थी, क्योंकि 30 मार्च 1949 को प्रदेश की 18 रियासतों को मिलाकर राजस्थान राज्य बन गया था।

राजस्थान के राजनीतिक इतिहास के जानकार बताते हैं कि वैसे तो जय नारायण व्यास बहुत ताकतवर नेता थे और अपने दम पर राजस्थान की राजनीति को संचालित करने का माद्दा रखते थे, लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर उन्हें जवाहरलाल नेहरू के करीबी नेताओ में गिने जाने के इसी रिश्ते के कारण ही नियुक्त किया गया था। यह राज्य के आम चुनाव के पहले की बात है, जब वास्तव में तो हीरालाल शास्त्री का मुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त होना तय था। जय नारायण व्यास  ने सन 1952 में राजस्थान के पहले चुनाव में जोधपुर और जालोर दो विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ा था। मगर वे दोनों ही जगहों से हार गए थे। जालोर तो माना कि दूर की बात थी और वहां उनका कोई खास राजनीतिक आधार भी नहीं था, मगर जोधपुर तो उनकी जन्म स्थली, कर्म स्थली और प्रभावशाली भी रही, फिर भी उनको हार का दंश झेलना पड़ा।

राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में जय नारायण व्यास प्रदेश में सबसे बड़े नेता थे और उन्हीं के नेतृत्व में विधानसभा का पहला चुनाव साल 1952 में हुआ। यह आम चुनाव पोस्टल बैलेट से हुआ था, जिसके नतीजे धीरे धीरे आ रहे थे, कई दिन भी लग रहे थे। चुनाव लड़ने के बाद नतीजों की प्रतीक्षा बेहद थका देने वाली होती है। ऐसे में, जब नतीजे आने का क्रम जारी था तो जयनारायण व्यास अपने खास नेता मित्रों माणिक्यलाल वर्मा, मथुरादास माथुर और रामकरण जोशी के साथ बैठकर नतीजों के विश्लेषण का गणित समझ रहे थे। तभी उनके सचिव वहां पहुंचे और बोले कि दो महत्वपूर्ण समाचार हैं, एक अच्छा हैं, तो दूसरा बुरा समाचार है। कांग्रेस के लिए अच्छा समाचार यह है कि प्रदेश की 160 में से 82 सीटों पर चुनाव जीत गई है, बहुमत भले ही मामूली है मगर सरकार बनाई जा सकती है, और बुरी खबर यह है कि जय नारायण व्यास दोनों जगह से चुनाव हार गए हैं। समाचार सुनते ही सन्नाटा पसर गया। वहां बैठे माणिक्यलाल वर्मा, मथुरादास माथुर और रामकरण जोशी के लिए कांग्रेस जीत की खुशी से ज्यादा जयनारायण व्यास की हार का दुख था। क्योंकि व्यास जी के करीबी नेताओं ने साल भर पहले ही हीरालाल शास्त्री को हटवाकर जयनारायण व्यास को सीएम बनवाया था।

नारायण व्यास की दो सीटों से हार के बाद उन्हें लगा कि इस हार के साथ उनकी राजनीति खतरे में पड़ सकती हैं, माणिक्यलाल वर्मा, मथुरादास माथुर और रामकरण जोशी भी इससे सहमत थे। तो व्यास ने अपनी त्वरित राजनीतिक तात्कालिकता का उपयोग करके केंद्र से रिश्तों के बूते पर अपनी सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे टीकाराम पालीवाल को मुख्यमंत्री बना दिया गया। वे 3 मार्च से 31 अक्टूबर 1952 तक मुख्यमंत्री रहे। चाहते तो जय नारायण व्यास हार के बावजूद मुख्यमंत्री बन सकते थे, क्योंकि कांग्रेस में उस समय व्यास खेमा ही सबसे प्रभावी था। व्यास के समर्थक उनके हारने के बावजूद उन्हीं को मुख्यमंत्री बनाने पर अड़े थे। लेकिन वो जमाना राजनीति में नैतिकता का था, इसलिए व्यास पर्दे के पीछे चले गए। अपने करीबी के मुख्यमंत्री पद पर पहुंचने से जय नारायण व्यास का खेमा फिर से ताकतवर हो गया और व्यास को फिर से मुख्यमंत्री बनाने को लेकर मजबूत मुहिम शुरू हुई। किशनगढ़ से विधायक चांदमल मेहता ने इस्तीफा दिया, जयनारायण व्यास वहां से उपचुनाव लड़े और जीतकर फिर मुख्यमंत्री बन गए। उन्होंने टीकाराम पालीवाल को फिर अपनी सरकार में उप मुख्यमंत्री बनाया। हालांकि, आज के दौर में यह किसी भी राजनेता के लिए लगभग अपमानजनक स्थिति मानी जाती है, मगर, राजस्थान की राजनीति में टीकाराम पालीवाल मुख्यमंत्री बनने के बाद उससे निचले उप मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने वाले पहले राजनेता बनकर इतिहास का हिस्सा बने।

टीकाराम पालीवाल को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने पर जय नारायण व्यास के नजदीकी लोगों में नाराजगी पसर रही थी, और कुछ ही दिनों में वह इतनी बढ़ गई कि माणिक्य लाल वर्मा और मथुरा दास माथुर जैसे सबसे करीबी साथियों ने भी व्यास जी को निपटाने की राजनीति पर चिंतन शुरू कर दिया। माणिक्य लाल वर्मा और मथुरा दास माथुर ने जय नारायण व्यास का साथ छोड़कर अपने से अपेक्षाकृत बहुत छोटे महज 38 साल के मोहनलाल सुखाङिया को समर्थन दे दिया। राजनीतिक विवाद तूल पकड़ता गया और अपनी ताकत का पहला प्रदर्शन वर्मा व माथुर ने राज्यसभा चुनाव में किया। कांग्रेस पार्टी के विधायकों के एक ग्रुप ने माणिक्य लाल वर्मा और मथुरा दास के नेतृत्व में बगावत करके क्रॉस वोटिंग की और कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार को जिता दिया।

राज्यसभा चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवार की हार पर पलटवार करते हुए व्यास ने 22 विपक्षी विधायकों को कांग्रेस में खींच लिया। मगर, माणिक्य लाल वर्मा और मथुरा दास माथुर की ताकत को कमजोर नहीं कर पाए। हमले लगातार चालू रहे और पार्टी में दबाव का सिलसिला भी चलता रहा, और प्रदेश की कांग्रेसी राजनीति में आपस में ही एक तरह से बगावत की हालत साफ दिखने लगी। मोहनलाल सुखाडिया के नेतृत्व और माणिक्य लाल वर्मा और मथुरा दास के समर्थन से बवाल इतना बढ़ा कि जवाहर लाल नेहरू को इस राजनीतिक संकट को संवारने में हस्तक्षेप करना पड़ा। नेहरू ने विधायकों की नाराजगी को दूर करने और उनकी राय को समझने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस रमेटी के महासचिव बलवंत राय मेहता को जयपुर भेजा। पर्यवेक्षक के तौर पर मेहता ने विधायकों की राय जानी, प्रदेश में सरकार के नेतृत्व में विश्वास के लिए विधायकों का मन समझा और नाराज विधायकों को समझाने की कोशिश की, मगर बात नहीं बनी, तो वोटिंग करायी। हवा महल के पास स्थित सवाई मानसिंह टाउन हॉल जो उस जमाने में विधानसभा हुआ करती थी, उसमें 13 नवंबर, 1954 को हुई विधायक दल की बैठक में मत विभाजन हुआ और सुखाड़िया को 59 और व्यास को 51 वोट मिले। मुख्यमंत्री होते हुए भी जय नारायण व्यास उस वोटिंग में मोहनलाल सुखाङिया से पिछड़ गए और इस्तीफा देना पड़ा। जोधपुर हार गया, उदयपुर जीत गया। मारवाड़ से कांग्रेस की कमान छिन गई और मेवाड़ के माथे ताज पहना दिया गया।

जय नारायण व्यास ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, मुख्यमंत्री आवास खाली कर दिया और एक तांगे में अपना सामान भरकर जयपुर की सड़कों पर घोड़े की टप टप के साथ पोलोविक्ट्री के पास अपने मित्र की एक होटल पहुंचे। बाद में तो खेर जयनारायण व्यास राज्यसभा के सदस्य भी बने और दो साल तक राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। कुछ साल बाद, सन 1963 के मार्च महीने में में दिल्ली में उनका निधन हो गया।

राजस्थान की कांग्रेसी राजनीति में जो लोग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीचत के राजनीतिक विवाद को बहुत बड़ा विवाद मानते हैं, वे नहीं जानते कि राजस्थान के राजनीतिक इतिहास में किसी को पद से उतारने और किसी को बनाने की कोशिश में जय नारायण व्यास को मुख्यमंत्री पद से हटाने औ र सुखाड़िया को बनाने के लिए जो विवाद कांग्रेस में चला, उससे बड़ा कोई राजनैतिक विवाद कांग्रेस में न तो उससे पहले नहीं हुआ और न ही बाद में।

 

-निरंजन परिहार

 

ये भी पढ़ें  :

Rajasthan Election: मतदान 1 फीसदी बढ़ने का मतलब या तो राज बदलेगा या फिर रिवाज बदलेगा?

Rajasthan Politics: कांग्रेस में बगावत की पहली दास्तान, जयनारायण व्यास को झटका, सुखाड़िया आसीन

Rajasthan Elections: मतदान 75 फीसदी, मगर कौन होगा मुख्यमंत्री, वसुंधरा या गहलोत, या फिर कोई और ही?

 

Congress Politics Rajasthan Rajasthan Politics
Share. WhatsApp Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Telegram Email
Prime Time Bharat

Related Posts

BJP Nitin Nabin: बीजेपी ने फिर चौंकाया… राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन !

December 14, 2025

Rajasthan: विकास और निवेश का नया अध्याय लिखता राजस्थान

December 9, 2025

IndiGo: हवाई सेवाओं से हाहाकार, मगर कर क्या रही सरकार?

December 6, 2025

Leave A Reply Cancel Reply

टॉप ख़बरें

BJP Nitin Nabin: बीजेपी ने फिर चौंकाया… राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन !

December 14, 2025

सिनेमा से गायब राजमहल और राजा-रानी

October 28, 2023

फिर जनम लेने जयपुर आ जाना इरफान!

October 28, 2023

पाप के पुरुषार्थ का रंगमंच बना सोशल मीडिया !

December 26, 2023
यह भी देखें
देश-प्रदेश
6 Mins Read

Rajasthan Politics: राजस्थान में फेरबदल संभव, 11 सीटों पर हार के झटके के बाद मुख्यमंत्री की पीएम मोदी व बड़े नेताओं से मुलाकात में संकेत

By Prime Time BharatJune 18, 2024

Rajasthan Politics: राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (Bhajan Lal Sharma) एक ही दिन में नई…

Congress: चुनाव हारना कोई राहुल गांधी से सीखे, ट्रोल पॉलिटिक्स नहीं दिलाती जीत

November 24, 2024

Rajasthan News: फिर पानी-पानी राजस्थान, जयपुर में भारी बारिश से जलभराव, दो दिन में 25 लोग मरे, राहत की मांग

August 13, 2024

Sonia Gandhi: सोनिया गांधी भी राजस्थान के रास्ते राज्यसभा में, गहलोत की खास रणनीति का कमाल

February 14, 2024
हमें फॉलो करें
  • Facebook
  • Twitter
  • Pinterest
  • Instagram
  • YouTube
  • Vimeo
About Us
About Us

‘प्राइम टाइम’ की शुरुआत पर कोई बड़ी बात नहीं, मगर यह कहना जरूरी है कि इसके उद्भव के लिए हमें एक बड़ी मजबूरी में सोचना पड़ा। मजबूरी यही कि हमारे हिंदुस्तान में वास्तविक अर्थों में जैसी होनी चाहिए, वैसी पत्रकारिता का मार्ग तेजी से सिकुड़ रहा है।

Contact Us:-
Mobile:- +91-9821226894
Email:- contact@primetimebharat.com

Facebook X (Twitter) Pinterest YouTube WhatsApp
Pages
  • About us
  • Our Team
  • Contact Us
  • Cookies Policy
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
लेटेस्ट ख़बरें

BJP Nitin Nabin: बीजेपी ने फिर चौंकाया… राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन !

December 14, 2025

Rajasthan: विकास और निवेश का नया अध्याय लिखता राजस्थान

December 9, 2025

Putin: मोदी से पुतिन की ऐतिहासिक मुलाकात और वैश्विक मंच पर भारत के लाभ

December 6, 2025
© 2025 Prime Time Bharat | All Rights Reserved |

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.