Rajasthan: सचिन पायलट न तो मारवाड़ के हैं और न ही मारवाड़ी उनकी बोली। फिर जो बात अक्सर अशोक गहलोत कहते रहे हैं, वह बोल कर पायलट भी गहलोत का अनुसरण कर रहे हैं या फिर राजस्थान से बाहर जाते हुए भी वे गहलोत के जूते में अपना पांव फंसाए रखना चाहते हैं, कोई नहीं जानता। लेकिन लोग यह जरूर जान रहे हैं कि कांग्रेस की राजनीति में, खासकर राजस्थान की राजनीति (Rajasthan Politics) में अशोक गहलोत से बड़ा नेता कोई और हैं ही नहीं। यही वजह है कि अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की तर्ज पर पायलट का ‘म्हैं थां सूं दूर नहीं…!’ कहना खासी चर्चा का विषय बन गया है। राजस्थान की राजनीति में यह बात चर्चा का विषय है कि आखिर सचिन पायलट (Sachin Pilot) को भी गहलोत की लाइन पकड़नी पड़ी है, यही गहलोत की जादूगरी है। राजस्थान की राजनीति से उठा कर पायलट को अखिल भारतीय कांग्रेस का महासचिव और छत्तीसगढ़ का प्रभारी बना दिया गया हैं और इसी वजह से प्रदेश में उनके समर्थक दुखी हैं कि वे उनसे दूर हो रहे हैं। उन्हीं को ढाढस बंधाने के लिए गहलोत की तर्ज पर मारवाड़ की अपणायत भरी परंपरा का निर्वहन करते हुए कहना पड़ा कि ‘म्हैं थां सूं दूर नहीं…!’ हालांकि पायलट न तो ‘म्हैं थां सूं दूर नहीं’ ढंग से बोल सके, न ही यह बोलने का लहजा पा सके। उच्चारण में भी अशुद्धियां रहीं। फिर भी चर्चा तो इसी की हो रही है।
Rajasthan में गहलोत का अनुसरण करते पायलट
मारवाड़ की आपणायत परंपरा में दूर होकर भी पास होने का भाव जताने की एक पुरानी लोकोक्ति है – ‘म्हें थां सूं दूर नहीं’… अर्थात मैं आपसे दूर नहीं हूं। जोधपुर के रहने वाले दिग्गज नेता अशोक गहलोत अक्सर उनसे स्नेह करने वाले लोगों से यही कह कर अपनापन बांटते रहे हैं। लेकिन अब गहलोत की तर्ज पर सचिन पायलट ने भी अपने समर्थकों से राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी अशोक गहलोत की तरह ‘म्हें थां सूं दूर नहीं’ कहा है। दरअसल, पायलट का ये कहना राजनीतिक चर्चा का विषय इसलिए बना हुआ है क्योंकि पायलट आम तौर पर गहलोत की किसी भी बात का अनुसरण नहीं करते, बल्कि उल्टे उनकी काट करते हैं। लोग कह रहे हैं कि यह गहलोत की जादूगरी है कि पायलट को भी ‘म्हैं थां सूं दूर नहीं…!’ कह कर उनका अनुसरण करना पड़ा है।
गहलोत सदा कहते रहे हैं कि ‘म्हैं थां सूं दूर नहीं…!’
अशोक गहलोत मारवाड़ के हैं और मारवाड़ की आपणायत परंपरा के तहत वे अस्सर अपने जोधपुरवासियों से बरसों से कहते रहे हैं कि म्हैं थां सूं दूर नहीं…! पहली बार गहलोत ने अपने जोधपुरवालों से 1982 में यह बात तब कही जब वे इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में भारत सरकार के पर्यटन उप मंत्री के तौर पर शामिल किए गए थे। सांसद तो पहली बार भले ही वे 1980 में बन गए थे, लेकिन तब जोधपुर ही ज्यादा रहना होता था, लेकिन मंत्री बनने के बाद उनको जोधपुर वाले कहने लगे थे कि अब तो वे नई दिल्ली में ही ज्यादा रहेंगे। उसी वजह से अक्सर गहलोत ‘म्हैं थां सूं दूर नहीं’ कहते रहे, भले ही वे जयपुर में रहें या दिल्ली में। लेकिन सच है कि ‘म्हैं थां सूं दूर नहीं’ पर अमल करते हुए गहलोत कभी भी जोधपुर और जोधपुरवालों से दूर नहीं रहे। यही कारण है कि गहलोत की तर्ज पर पायलट का ‘म्हैं थां सूं दूर नहीं…!’ कहना चर्चा का विषय है।
असल में राजनीतिक दांव रहा है ‘म्हैं थां सूं दूर नहीं…’
‘म्हैं थां सूं दूर नहीं…’ के इतिहास व परंपरा में जाएं, तो मारवाड़ (Marwar) में आम तौर पर बेटियां जब ससुराल जाती थीं, तो अपने ‘काळजे री कोर’ को दूर जाते देख, बिलखते माता – पिता की आंखों में अक्सर आंसू देखते ही, उनको ढाढस बंधाते हुए दुल्हन बनी बेटियां कहती थीं, ‘म्हैं थां सूं दूर नहीं…।’ मारवाड़ में यह एक पुरानी परंपरा का हिस्सा रहा है जिसे गीतों में भी गाया जाता रहा है। बाद में भावनात्मक जुड़ाव की इसी उक्ति को राजनीति का हथियार बनाते हुए जोधपुर के तत्कालीन महाराजा हनुवंत सिंह ने सन 1952 में प्रदेश के पहले चुनाव में मारवाड़ की जनता से कहा ‘म्हैं थां सूं दूर नहीं…!’ मतलब मैं महाराजा हूं, लेकिन आपसे कोई दूरी नहीं है। महाराजा हनुवंत सिंह के इस भावनात्मक दांव को उनके चुनावी पोस्टरों पर भी जगह मिली। यह दांव मारवाड़ की जनता में काम कर गया, और वे चुनाव जीत गए। बाद में तो अशोक गहलोत 1980 के पहले चुनाव में अपनी पहली जीत के साथ ही हर बार लोगों से ‘म्हैं थां सूं दूर नहीं…’ के जरिए नजदीकियां साबित करते रहे हैं। राजनीति में नजदीकियां बनाए रखने की यह परंपरा गहलोत ने ‘म्हैं थां सूं दूर नहीं…’ के जरिए ही मजबूत की है, इसी वजह से वे राजस्थान की सियासत से वे दूर होकर भी दूर कभी नहीं रहे। बहुत संभव है, इसी कारण लोगों के दिलों में अपने प्रति विश्वास जताने के लिए अशोक गहलोत की तर्ज पर सचिन पायलट भी आखिर बोल पड़ा कि ‘म्हैं थां सूं दूर नहीं…’ लोग इसी को गहलोत की जादूगरी बता रहे हैं।
राजस्थान ही कर्मभूमि, सेवा करते रहेंगे
अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री पद पर होने के बावजूद लगातार 5 साल तक राजस्थान में मुख्यमंत्री बनने के असफल प्रयास करने के बाद सचिन पायलट अब छत्तीसगढ़ के प्रभारी बनाए गए हैं। हाल ही में वे श्रीगंगानगर जिले की श्रीकरणपुर विधानसभा सीट पर हो रहे चुनाव में प्रचार करने पहुंचे तो मीडिया ने उनको घेर लिया और पूछा कि अब उन्हें राजस्थान से दूर कर दिया गया है, तो वे कैसा महसूस करते हैं। तो जवाब में पहली बार पायलट ने ठेठ मारवाड़ के अंदाज में बोले ‘म्हैं थां सूं दूर नहीं…!’ सचिन ने कहा कि राजस्थान से बाहर जाने की बात है तो मैं कहना चाहता हूं कि यहां पर हम सब लोग लंबे समय से काम करते रहे हैं। यह सब को समझना है कि यही हमारी कर्मभूमि है, जब तक राजनीति में काम करेंगे, राजस्थान के लोगों की सेवा करते रहेंगे। इसलिए ‘म्हैं थां सूं दूर नहीं…!’
-निरंजन परिहार (लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)