Rajasthan News: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के सचिन पायलट (Sachin Pilot) पर दिए गए एक बयान से प्रदेश के कांग्रेस (Congress) कार्यकर्ताओं में जबरदस्त खुशी देखने को मिल रही है। गहलोत ने कहा है कि मैं और सचिन पायलट तो कभी अलग नहीं थे। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों में खूब मोहब्बत है। लगे हाथ गहलोत ने दोनों के बीच अदावत की फाली खबरों का सारा दोष भी मीडिया पर डाल दिया और कहा कि मीडिया हमें अलग दिखाने की बात करता रहता हैं। गहलोत आज सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि पर भंडाणा में एक विशाल सभा को संबोधित करने पहुंचे थे। गहलोत के इस बयान से आज राजस्थान (Rajasthan) कांग्रेस में जोरदार हलचल है। कांग्रेस प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की उपस्थिति में गहलोत और पायलट की इस फिर से दिखी जुगलबंदी से दोनों नेताओं के समर्थकों में एक नई उम्मीद जगी है।
राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर पहुंचे गहलोत
दौसा जिले के भंडाणा में 11 जून 2025 को आयोजित स्वर्गीय राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि पर अशोक गहलोत भी पहुंचे और पायलट से अपने संबंधों को सार्वजनिक किया। इस कार्यक्रम में गहलोत ने कहा कि मैं और सचिन पायलट अलग कब थे। हम तो हमेशा से साथ हैं और दोनों में खूब मोहब्बत भी है। ये तो मीडिया हमारे बीच अनबन की खबरें चलाता रहता हैं। यह बयान उन्होंने सचिन पायलट के साथ अपने रिश्तों को लेकर उठ रही अटकलों को खारिज करने के लिए दिया। गहलोत ने यह भी उल्लेख किया कि वे और राजेश पायलट 1980 में एक साथ लोकसभा पहुंचे थे और 18 साल तक साथी सांसद रहे, जिससे उनकी पुरानी दोस्ती का जिक्र हुआ। इससे पहले गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा – पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे स्व. श्री राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

गहलोत का बयान पायलट से संबंधों का प्रमाण
राजस्थान की राजनीति में देखा जाए, तो पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री पायलट के बीच राजस्थान कांग्रेस में लंबे समय से तनाव की खबरें सुनने को मिलती रही हैं। खासकर 2018 में मुख्यमंत्री पद को लेकर और 2020 में पायलट के बगावत के बाद, जब उनके समर्थक विधायकों ने गहलोत सरकार के खिलाफ मानेसर में डेरा डाला था। गहलोत के इस ताजा बयान से पहले, 7 जून 2025 को पायलट ने गहलोत के जयपुर स्थित आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की थी, और अपने पिता राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि के कार्यक्रम के लिए निमंत्रण दिया था। लंबे वक्त के बाद लगभग दो घंटे चली इस मुलाकात तो दोनों नेताओं के बीच सुलह की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया था। अब गहलोत का ताजा बयान तथा पायलट परिवार से 45 साल पुराने संबंधों का हवाला दोनों के बीच में पिघलती बर्फ का प्रमाण माना जा रहा है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार कहते हैं कि कांग्रेस को अपनी एकजुटता और मजबूती के लिए अभी और इंतजार करना होगा। वे कहते हैं कि राजनीति में ऐसे बयानों और दिखती नजदीकियों के हवाले से तत्काल कोई निष्कर्ष निकालना आसान नहीं होता।

गिले-शिकवे पूरी तरह खत्म होना अभी बाकी
पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब राजस्थान की राजनीति में लंबे समय से दोनों नेताओं के बीच मतभेद की चर्चाएं लगातार ख़बरों में रही हैं। लेकिन राजेश पाय़लट के स्मृति समारोह में दोनों की मौजूदगी और बयानों ने साफ कर दिया कि दोनों नेताओं के रिश्ते अब एक नई सकारात्मक दिशा में हैं। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह पूरी तरह से गिले-शिकवे खत्म होने की गारंटी नहीं है। क्योंकि गहलोत और पायलट दोनों ही राजस्थान कांग्रेस की राजनीति के दो विपरीत ध्रुव माने जाते हैं। फिर भी वरिष्ठ पत्रकार हरिसिंह कहते हैं कि पायलट को एक न एक दिन तो गहलोत के सामने झुकना ही था, क्योकि राजस्थान की राजनीति में, खासकर कांग्रेस में गहलोत के बिना किसी भी नेता की नैया पार लगना आसान खेल नहीं है। वैसे, राजेश पायलट के स्मृति दिवस में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता भी मौजूद रहे। यह आयोजन न सिर्फ राजेश पायलट को श्रद्धांजलि देने का अवसर बना, बल्कि कांग्रेस के अंदर तालमेल और एकजुटता का संदेश भी देता नजर आया। इसी कड़ी में, गहलोत का बयान राजस्थान की सियासत में दोनों नेताओं के बीच तनाव कम होने का संकेत तो देता ही है।
-राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार)
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