Rajasthan News: महात्मा गांधी दुखी हैं। दुख इस बात का नहीं है कि राजस्थान (Rajasthan) में उनके नाम पर खोले गए सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल बंद किए जा रहे हैं, बल्कि दुखी इसलिए हैं, क्योंकि हमारे ग्रामीण भारत की आने वाली पीढ़ियां अंग्रेजी आसानी से नहीं सीख पाएंगी। राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ हर दिशा में आगे बढ़ने के साथ साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रगति की ओर अग्रसर रहा है। हाल के वर्षों में, शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, अपने मुख्यमंत्री काल में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए थे। गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 2019 में महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल (Mahatma Gandhi English School) योजना की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्य गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा प्रदान करना था, ताकि वे राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। हालांकि, वर्तमान भजनलाल शर्मा (BHajanlal Sharma) के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा इन स्कूलों को बंद करने या हिंदी माध्यम में परिवर्तित करने की योजना ने इस पहल के भविष्य पर सवाल उठाए हैं। चलिए, यह लेख में हम इस योजना की शुरुआत, इसके लाभ, और वर्तमान विवादों को देखते हैं।
महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों की शुरुआत
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर 2019 में शुरू की गई इस योजना के तहत राजस्थान सरकार ने सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तित करने का निर्णय लिया। इसका उद्देश्य उन बच्चों को अंग्रेजी शिक्षा का अवसर प्रदान करना था, जो निजी स्कूलों की ऊँची फीस वहन नहीं कर सकते थे। पहले चरण में 33 जिला मुख्यालयों में एक-एक स्कूल को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तित किया गया। 2021-22 तक यह संख्या बढ़कर 2,029 हो गई, और वर्तमान में 3,737 स्कूल इस योजना के तहत संचालित हो रहे हैं। इन स्कूलों में 6 लाख से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं। गहलोत सरकार ने इन स्कूलों को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा। इसके लिए न केवल पाठ्यपुस्तकें मुफ्त प्रदान की गईं, बल्कि शहरी क्षेत्रों में 5 लाख रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 2.5 लाख रुपये की धनराशि फर्नीचर और बुनियादी ढांचे के लिए आवंटित की गई। साथ ही, 10,000 अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की भर्ती की गई, जिन्हें 16,900 रुपये मासिक वेतन और 5% वार्षिक वृद्धि के साथ नियुक्त किया गया। इन स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाएँ भी शुरू की गईं, जिसने राजस्थान को उत्तर भारत में इस तरह की पहल करने वाला पहला राज्य बनाया।

ग्रामीण बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूलों से लाभ
महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों ने राजस्थान के शिक्षा परिदृश्य में क्रांतिकारी बदलाव लाया। ये स्कूल विशेष रूप से उन बच्चों के लिए वरदान साबित हुए, जो आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आते हैं। अंग्रेजी शिक्षा ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने का अवसर प्रदान किया। उदाहरण के लिए, जयपुर के सांगानेर में एक स्कूल में 54 सीटों के लिए 1,880 आवेदन प्राप्त हुए, जो इन स्कूलों की लोकप्रियता को दर्शाता है। इन स्कूलों ने न केवल अंग्रेजी भाषा में दक्षता बढ़ाई, बल्कि STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, और गणित) शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 300 रोबोटिक्स लैब भी स्थापित किए गए। इससे छात्रों को आधुनिक तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिला, जो उन्हें निजी स्कूलों के छात्रों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाता है। अशोक गहलोत ने स्वयं कहा, “हर माता-पिता चाहता है कि उसका बच्चा अंग्रेजी माध्यम में पढ़े ताकि वह राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सके।” इसके अतिरिक्त, इन स्कूलों ने सामाजिक समानता को बढ़ावा दिया। गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अवसर मिला, जिससे निजी स्कूलों में दाखिलों की संख्या में कमी आई। साथ ही, अंग्रेजी साहित्य में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में रुचि बढ़ी, क्योंकि युवाओं को इन स्कूलों में शिक्षक बनने की संभावना दिखी।

भजनलाल सरकार का रुख और विवाद के कारण
दिसंबर 2023 में सत्ता में आने के बाद भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने गहलोत सरकार की कई योजनाओं को उलटने या उनके नाम बदलने का प्रयास किया। महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों को हिंदी माध्यम में परिवर्तित करने या बंद करने की योजना इसका हिस्सा थी। मई 2024 में, शिक्षा विभाग ने 3,700 में से 1,000 स्कूलों को हिंदी माध्यम में बदलने का आदेश जारी किया, जिसका कारण शिक्षकों की कमी बताया गया। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने दावा किया कि ये स्कूल राजनीतिक उद्देश्यों से खोले गए थे और इनमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव है। इस निर्णय की तीव्र आलोचना हुई। अशोक गहलोत ने इसे गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों के लिए हानिकारक बताया, जबकि कांग्रेस नेता गोविंद सिंह डोटासरा ने विधानसभा में इसे रोकने की धमकी दी। शिक्षकों और अभिभावकों ने भी इस कदम का विरोध किया, यह तर्क देते हुए कि स्कूलों के स्थान चयन में रणनीतिक योजना की कमी थी, लेकिन इसे सुधारने के बजाय बंद करना गलत है। हालांकि, मई 2025 में भजनलाल सरकार ने इन स्कूलों को यथावत रखने का निर्णय लिया, जिसे कांग्रेस के दबाव का परिणाम माना जा रहा है। फिर भी, इन स्कूलों के लिए बुनियादी ढांचे और शिक्षकों की कमी जैसे मुद्दों को हल करने के लिए ठोस कदमों की आवश्यकता है।
सरकार को अपना नजरिया बदलना होगा
महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था में एक प्रगतिशील कदम थे, जिसने लाखों बच्चों को बेहतर भविष्य का अवसर प्रदान किया। राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार कहते हैं कि अशोक गहलोत सरकार की यह पहल सामाजिक और आर्थिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास थी। हालांकि, भजनलाल सरकार के शुरुआती निर्णय ने इस पहल को खतरे में डाल दिया था। परिहार कहते हैं कि इन स्कूलों को बंद करने के बजाय, सरकार को शिक्षकों की भर्ती और बुनियादी ढांचे में सुधार पर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि इन इंग्लिश मीडियम स्कूलों में करीब 17 हजार 500 पद रिक्त हैं। बीजेपी के वरिष्ठ पदाधिकारी एडवोकेट वीरेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि राजस्थान के महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों को जल्द शिक्षक मिलेंगे। चौहान कहते हैं कि सरकार पर का छात्रों को नुकसान पहुंचाने के आरोप गलत है तथा किसी भी सरकार का इस तरह का इरादा कभी हो ही नहीं सकता। दरअसल, इन इंग्लिश मीडियम स्कूलों में करीब 17 हजार 500 पद रिक्त हैं,शिक्षा, विशेष रूप से अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा, आज के युग में बच्चों के लिए एक शक्तिशाली हथियार है, और इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से ऊपर रखकर संरक्षित करना आवश्यक है।
-आकांक्षा कुमारी