Ram Mandir: रामलला अयोध्या (Ayodhya) में पधार गए है और इसके साथ ही 500 वर्षों का संघर्ष प्राण प्रतिष्ठा के केवल 84 सैकेंड में ही समाप्त हो गया। आज 22 जनवरी 2024 को वह शुभ घड़ी आ गई , जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की उपस्थिति में राम मंदिर में भगवान राम लला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई। इतिहास सम्मत तथ्य है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि (Ram Janma Bhoomi) स्थल पर सन 1528 में एक मस्जिद बना दी गई, जिसे बाबरी मस्जिद नाम दिया गया था। लेकिन अब राम मंदिर में हिंदू (Hindu) धर्म का वो नजारा देखने को मिल रहा है, जो करोड़ों लोगों ने अपने जीवनकाल में कभी नहीं देखा। इस प्रतिष्ठा महोत्सव की गूंज पूरी दुनिया में दिखाई दे रही है। ऐतिहासिक प्राण प्रतिष्ठा समारोह में देश के सभी प्रमुख आध्यात्मिक और धार्मिक संप्रदायों के प्रतिनिधियों और विभिन्न आदिवासी समुदायों के प्रतिनिधियों सहित जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों की भागीदारी देखी गई। भव्य श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया गया है।
Ram Mandir अयोध्या की धार्मिक विरासत के आख्यान का निखार
अयोध्या में राम मंदिर, अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व की परियोजना है, जो 500 वर्षॆं के संघर्ष का प्रतीक है। राम मंदिर अपने निर्णायक स्वरूप में है क्योंकि 22 जनवरी, 2024 का प्राण प्रतिष्ठा समारोह सिर्फ एक अनुष्ठानिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सामाजिक सद्भाव, धार्मिक एकता और भारत की सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक के साथ साथ विकास के नए केंद्र के रूप में हम सबके दिलों पर अंकित है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक अवसर पर, न केवल भारत में बल्कि समस्त संसार भर में संपन्न विभिन्न धार्मिक आयोजन हमारी व्यापक सांस्कृतिक निहितार्थों का प्रभावी प्रदर्शन साबित हुआ है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वयं इस, अवसर पर मंदिर परिसर में उपस्थित रहना, पूजन करना, दर्शन के सथ पहली आरती करना तथा इस अप्रतिम आयोजन के लिए 11 दिनों तक निराहार उपवास रखना भी अपने आप में एक प्रबल विश्वास का प्रतीक है।
राम मंदिर से ही अयोध्या शहर का आध्यात्मिक पुनरुद्धार
दरअसल, राम मंदिर के निर्माण ने अयोध्या को पुनर्जीवित कर दिया है। सारे संसार का इसके ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व पर नए सिरे से ध्यान आकर्षित किया है। भगवान राम की जन्मस्थली के रूप में प्रतिष्ठित इस शहर में विकासात्मक गतिविधियों में बेतहाशा अभिवृद्धि देखी गई है, जिसने इस पौराणिक व ऐतिहासिक शहर को एक प्रमुख तीर्थ और सांस्कृतिक गंतव्य में बदल दिया है। राम मंदिर की उपस्थिति से अयोध्या का आकर्षण और बढ़ेगा, जो दुनिया भर से आगंतुकों, श्रद्धालुओं और भक्तों को आकर्षित करेगा। राम मंदिर केवल पूजा स्थल नहीं है, यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा और धार्मिक सद्भाव की दीर्घकालिक श्रंखला का प्रतीक है। यह मंदिर भगवान राम की स्थायी विरासत और उनकी शिक्षाओं के प्रमाण के रूप में खड़ा है, जिसने भारतीय समाज के नैतिक और नैतिक ताने-बाने को आकार दिया है। इसलिए, प्राण प्रतिष्ठा समारोह इन मूल्यों का उत्सव साबित हुआ है और मंदिर के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को प्रतिबिंबित करने का इतिहास कायम करने में भी सफल रहा है।
प्राण प्रतिष्ठा भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उत्सव
सांस्कृतिक महत्व की दृष्टि से देखें, तो राम मंदिर सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि उससे कहीं अधिक है। अयोध्या नामक एक स्थान पर राम मंदिर का प्रभाव यह है कि अब एक आध्यात्मिक शहर का पुनरुद्धार हमारे समक्ष है। इसे भारत की सांस्कृतिक यात्रा में एक मील का पत्थर कहा जा सकता है। अयोध्या में राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन से कहीं अधिक रहा है; इसे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के उत्सव के रूप में देखा जा रहा है। जैसा कि दुनिया ने देखा है, यह समारोह भगवान राम के कालातीत मूल्यों और शिक्षाओं को मजबूत करते हुए, भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आख्यान में एक नया अध्याय जोड़ने के लिए सबके सामने है।
महत्वपूर्ण लोगों की अतिविशिष्ट उपस्थिति की महत्ता का महात्म्य
राम मंदिर के वैश्विक महत्व को दर्शाते हुए, इस समारोह में विभिन्न देशों के भिन्न भिन्न क्षेत्रों के जो प्रसिद्ध प्रतिनिधि अयोध्या पहुंचे, उनका राम मंदिर जैसे सनातन उद्देश्य के लिए अपने जीवन का इतना महत्वपूर्ण समय निकालना यह दर्शाता है कि उनके जीवन में भी उनके काम से भी ज्यादा महत्व राम का रहा। है। अनेक धर्मगुरू, संत, महंत, राजनेता, राजनायिक, न्यायाधीश, उद्योगपति, उद्यमी, कलाकार, पत्रकार, साहित्यकार, लेखक, खिलाड़ी, रंगकर्मी एवं राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हजारों की संख्या में अयोध्या पहुंचे, जो उनकी भगवान राम के प्रति गहरे आध्यात्मिक संबंध और श्रद्धा को दर्शाता है। इन सारे ही महत्वपूर्ण लोगों का यहां पहुंचना आने वाले समय में राम मंदिर की सार्वभौमिक अपील को उजागर करेगा। यह अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति न केवल मंदिर के आध्यात्मिक महत्व को पुष्ट करती है बल्कि वैश्विक एकता और विविध सांस्कृतिक परंपराओं के लिए पारस्परिक सम्मान की भावना को भी बढ़ावा देती
धार्मिक परंपरा की सामाजिक स्वीकार्यता की व्यापकता का प्रदर्शन
वैश्विक हस्तियों की विशिष्ट उपस्थिति का यह उदार मिश्रण भारत की, और खासकर भगवान राम की पावन सांस्कृतिक विरासत के प्रति उनके सम्मान को दर्शाती है, साथ ही जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को एक साथ लाने की राम मंदिर की अद्वितीय क्षमता को भी रेखांकित करता है। इस भव्य आयोजन की तैयारी मंदिर से जुड़ी पवित्रता और पारंपरिक मूल्यों को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से जा रही है। हर जाति, वर्ग, क्षेत्र व समाज सहित भिन्न विचारधाराओं के लोगों की उपस्थिति राम मंदिर की सामाजिक स्वीकार्यता की व्यापक अपील को दर्शाती है।
-राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार)