राजस्थान विधानसभा चुनाव शुरू हो गए है। बीजेपी सत्ता में लौटने के लिए पुरजोर कोशिशों में जुटी हुई है। कांग्रेस को मात देने के लिए चुनावी रणनीति का पूरा जिम्मा पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद अपने हाथों में ले रखा है। पहली सूची में ही उन्होंने सात सांसदों को भी चुनावी रण में उतारकर में कुछ नया हासिल करने का रास्ता दिखाया और जीत के मंत्र भी दिए। इससे पहले मोदी ने नई दिल्ली में राजस्थान के सांसदों की बैठक की थी, और इस बैठक में सबसे चौंकाने वाली बात थी केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी। वैष्णव की राजस्थान के मामले में सक्रियता की चर्चाएं नए उफान पर है। चर्चा यह है कि मोदी के मिशन राजस्थान में रेल मंत्री वैष्णव कहीं इंजन की भूमिका में भी हो सकते हैं।
दरअसल, विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान के दोनों सदनों के सांसदों के यह पीएम नरेंद्र मोदी की पहली बैठक थी। इसमें वैष्णव भी मौजूद रहे। रेलमंत्री वैष्णव राज्यसभा सांसद तो है, वे ओडिशा से चुनकर आते है। लेकिन सांसदों की इस बैठक में उनकी उपस्थिति राजस्थान के संदर्भ में कुछ नए राजनीतिक संकेत भी दे रही है। रेल मंत्री की मौजूदगी के बाद से राजस्थान की सियासी हलकों में यह कयास लगाए जा रहे है कि,अश्विनी वैष्णव को नया टास्क भी सौंपा जा सकता है। क्या उन्हें राजस्थान के चुनावी कैंपेन में भी उतारा जाएगा। हाल ही में वैष्णव को मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव के सह-प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जबकि राजस्थान से आने वाले केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव को मध्य प्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाया है।
वैष्णव ओबीसी वर्ग के हैं और राजस्थान में सबसे बड़ा वोट बैंक ओबीसी ही है। इस वर्ग की आबादी राजस्थान में करीब 55-60 प्रतिशत बताई जाती है। उनका परिवार वर्षों से राष्ट्रीय स्वयं सेवक से जुड़ा है। इसलिए राजस्थान से जुड़ा होना प्रदेश के चुनावों में भाजपा के लिए मजबूत पक्ष है। राजनीतिक जानकार कहते है कि, वे राजस्थान से सांसद नहीं हैं, फिर भी पीएम मोदी की मीटिंग में शामिल किया गया है। इसके मायने यही हैं कि भाजपा उनके जरिए एक बड़े वोट बैंक को भी साध रही है। साथ ही रेलवे के जरिए मोदी सरकार अपना संदेश लोगों तक पहुंचाना चाहती है कि वंदे भारत जैसी लोकप्रिय रेलगाड़ियां उनकी सरकार की देन है। आमतौर पर रेलवे कभी भी विधानसभा चुनाव मे जिताने-हराने में कोई अहम भूमिका नहीं अदा करता,लेकिन पीएम मोदी ने वंदे भारत ट्रेन-बुलेट ट्रेन को मोदी सरकार की प्रमुख योजनाओं में रखा है।
पिछले एक वर्ष में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव कई बार राजस्थान के दौरे कर चुके हैं। छह महीने पहले 19 मार्च को जयपुर में जब ब्राह्मण महापंचायत सम्मेलन हुआ था, तो वैष्णव उस में मुख्य अतिथि थे। उन्होंने भगवान परशुराम पर एक डाक टिकट भी जारी किया था। हाल ही में पीएम मोदी ने देश भर के 500 से ज्यादा रेलवे स्टेशन के कायाकल्प कार्यक्रम का लोकार्पण किया था, इसमें राजस्थान के 55 रेलवे स्टेशन भी शामिल थे। वैष्णव के प्रयासों से वंदे भारत ट्रेन दिल्ली से जयपुर-अजमेर तक संचालित हो रही है। जल्द ही कुछ ओर वंदे भारत ट्रेन की राजस्थान को सौगात मिल सकती है।
मूल रूप से राजस्थान के पाली जिले के जीवंद कल्लां गांव के रहने वाले रेलमंत्री वैष्णव बाद में जोधपुर में चले गए। वैष्णव ने स्कूली शिक्षा सेंट एंथोनी कॉन्वेंट स्कूल और महेश स्कूल जोधपुर से की। उन्होंने 1991 में एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज (जेएनवीयू) जोधपुर से इलेक्ट्रॉनिक और संचार इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में स्वर्ण पदक के साथ स्नातक की उपाधि ली। फिर एमटेक पूरा किया। 1994 में अखिल भारतीय रैंक 27 के साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होने से पहले 2008 में वैष्णव पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से एमबीए करने अमेरिका चले गए। 18 जुलाई 1970 को जन्मे अश्विनी वैष्णव पूर्व आईएएस अधिकारी हैं। वह वर्तमान में 2021 से 39वें रेल मंत्री, 55वें संचार मंत्री और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री और राज्यसभा के सदस्य के रूप में कार्यरत हैं। 2019 से ओडिशा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इससे पहले, 1994 में वैष्णव ओडिशा कैडर में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए। उन्होंने ओडिशा में काम किया है। 1994 में वैष्णव ओडिशा कैडर में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए। उन्होंने बालासोर और कटक जिलों के कलेक्टर के रूप में कार्य करने समेत ओडिशा के विभिन्न हिस्सों में काम किया। सुपर साइक्लोन 1999 के समय वह चक्रवात के वास्तविक समय और स्थान से संबंधित डेटा एकत्र करने में कामयाब रहे। उस डेटा को एकत्र करके ओडिशा सरकार ने लोगों के लिए सुरक्षा उपाय किए। उन्होंने 2003 तक ओडिशा में काम किया, जब उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यालय में उप सचिव के रूप में नियुक्त किया गया। मोदी उन्हें राज्यसबा में लाए और बाद में सीधे रेल व आईटी मंत्री बना दिया, तथा उनके कामकाज से वे बेहद प्रबाविक भी हैं। राजस्थान में ओबीसी मुख्यमंत्री के रूप में अश्विनी वैष्णव मोदी को रास भी आ सकते हैं।