निरंजन परिहार | Jaipur 20 Oct, 2023
अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर कहा जाता है। देश की राजनीति में एक ताकवर नेता और कांग्रेस में वक्त को भांपकर तेज चाल चलनेवाले दिमागदार नेता। वे जो कुछ कहें, उसके मायने निकालने से पहले हजार बार सोचना पड़ता है। वे सादगी पसंद हैं, सरल – सपाट बोलते हैं, साफ मन से कह देते हैं और बहुत अपने किसी नजदीक से व्यक्ति जैसे दिखते हैं। यह उनके व्यक्तित्व की विशेषता है, और यहीं पर आकर आम तौर पर लोग मात खा जाते हैं। आखिर कोई राजनेता इतना सरल, विरल और विमल कैसे हो सकता है। राजनेता तो होते ही तेजजर्रार हैं, तो फिर गहलोत ऐसे कैसे हो सकते हैं, यही सबसे बड़ा सवाल है।
दरअसल, वे हैं ही ऐसे, सच में ऐसे। अपने राजनीतिक दांव-पेंच के चलते जादूगर के नाम से मशहूर हैं, उनके बयान कई बार गहरे राजनीतिक निहितार्थ लिए होते हैं। इसी बीच नई दिल्ली में अशोक गहलोत ने उम्मीदवारों की घोषणा होने से पहले प्रेस कांफ्रेंस में कुछ ऐसा ही बोल दिया कि लोग बहुत कुछ समझने की दिशा में नए रास्ते तलाशने लगे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद छोड़ना चाहता हूं, लेकिन ये पद मुझे नहीं छोड़ रहा है, और शायद छोड़ेगा भी नहीं। अब आप चाहे इसे गहलोत की मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की लालसा कहें, या चुनाव के बाद फिर से कांग्रेस की सरकार बनती है, तो चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के संकेत, मगर सच तो यही है कि गहलोत की शब्दावली को समझना आसान नहीं है।
अशोक गहलोत तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं, और इस बार उन्होंने जमकर काम करते हुए पहले के मुकाबवे खुद की बहुत बड़ी छवि बना ली है। विधायकों के लिए टिकट फाइनल करने की लगातार चल रही बैठकों के दौर से वक्त निकाल कर नई दिल्ली में ही मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा कि मैं तो सीएम पद छोड़ना चाहता हूं, लेकिन ये पद नहीं छोड़ रहा है और आगे भी शायद छोड़ेगा भी नहीं। आखिर, मुझ पर हाई कमान ने भरोसा किया है, तो इसके पीछे कुछ तो कारण होगा। गहलोत ने केंद्र पर हमला करते हुए यह भी कहा कि देश में जो हालात बन रहे हैं, उनमें केवल एक ही नेता है राहुल गांधी, जो मोदीजी का मुकाबला कर रहा है। इस बीच, गहलोत ने यह भी कहा कि बीजेपी ने हमारी सरकार को गिराने की कोशिश की थी, तो मेरी सरकार गिराने के लिए जो लोग पायलट के साथ गए थे, मैंनें उनके एक भी समर्थक के टिकट पर ऑब्जेक्शन नहीं किया है, सब फाइनल है। हम सब एकजुट हैं। जितने फैसले हो रहे हैं वो सबकी राय से हो रहे हैं, ये ही तकलीफ बीजेपी को हो रही होगी।
राजस्थान की राजनीति को जानकार मानते हैं कि गहलोत ने मुख्यमंत्री पद को लेकर जो बयान दिया है, उसके कई मायने हैं, गहलोत ने यह बयान कोई ऐसे ही नहीं दिया है। भले ही इस बयान की पहली लाइन में गहलोत ने मुख्यमंत्री पद छोड़ने की इच्छा जताई है, लेकिन अंतिम वाक्य ने अगली सरकार में भी मुख्यमंमत्री उन्हें ही बनने की बात है, जिसकी वजह से कांग्रेस में अंदरूनी कलह फिर से उजागर होना बहुत संभव है। गहलोत का कुर्सी उन्हें नहीं छोड़ रही है, सचिन पायलट को साफ संदेश देने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है कि अगली बार के लिए भी वो मुख्यमंत्री बनने के सपने ना पालें। जानकार यह भी मानते हैं कि इस बीच अपनी सरकार गिराने की बात सार्वजनिक रूप से कहकर गहलोत ने पायलट को एक बार फिर से कटघरे में खड़ा तो किया ही है। सभी जानते हैं कि गहलोत का ब्रह्मवाक्य है कि हर गलती सजा मांगती है और सरकार गिराने के लिए पायलट मुख्यमंत्री बनने की ललक में अपने साथ कुछ विधायकों को लेकर मानेसर जा बैठे थे। पायलट की इस बगावत को रह रह कर गहलोत याद दिलाते रहते हैं। तो इस तरह से गहलोत पायलट की उस गलती की सजा रह रह कर उन्हें देते रहते हैं, क्योंकि वे कहते हैं कि हर गलती सजा मांगती है।
मुख्यमंत्री गहलोत के ताजा बयान के बाद अब सवाल यह ही नहीं रह गया है कि राजस्थान में अगर कांग्रेस की सरकार आती है तो कौन मुख्यमंत्री बनेगा ? मैं मुख्यमंत्री पद छोड़ना चाहता हूं, लेकिन ये पद मुझे नहीं छोड़ रहा है, और शायद छोड़ेगा भी नहीं, में स्पष्ट राजनीतिक संदेश है, जिसके निहितार्थ गहलोत की गद्दी के मंसूबे पालनेवालों के अरमानों पर पानी फेरने के लिए काफी हैं। गहलोत के इस बयान से सियासी हलचल तेज हो गई है, क्योंकि सवाल फिर मुख्यमंत्री बनने पर बड़े ही साफ संकेत का है। वैसे भी गहलोत कहते रहे हैं कि राजस्थान में कोई एंटी इन्कंबैंसी नहीं है और फिर बहुमत से सरकार बनाने जा रहे हैं। आदेगे आगे देखते हैं, क्या होता है।