Rajasthan Election: मतदाताओं की मर्जी से राजस्थान (Rajasthan) में भले ही हर पांच साल में सरकारें बदलती रही है, लेकिन सरकार बनाने की चाबी अक्सर निर्दलीय और छोटे दलों के पास रही है। फिर इन निर्दलीयों और छोटे दलों में खास बात यह देखने को मिली है कि उनको किसी भी राजनीतिक दल के बजाय उसके नेता पर ज्यादा भरोसा होता है। ऐसे में निर्दलीयों के लिए कांग्रेस (Congress) के दिग्गज नेता और वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (AshokGehlot) सबसे भरोसेमंद नेता कहे जा सकते हैं, क्योंकि उनकी सरकार में हर बार निर्दलीयों को पूरा सम्मान मिला है, तथा सत्ता का सुख भी हर तरह से मिला है। फिर, बीजेपी (BJP) में कोई भी नेता ऐसा नहीं है, जिसकी बात पर व्यक्तिगत रूप से भरोसा करके निर्दलीय उसे समर्थन दे दे एवं किसी भी निर्दलीय अथवा छोटी पार्टी को यह पक्का भरोसा नहीं है कि बीजेपी (BJP) को समर्थन देने पर उन्हें वही सम्मान मिलेगा, जो गहलोत के राज में निर्दलीयों व छोटी पार्टियों को मिलता रहा है। फिर बीजेपी (BJP) अपने दम पर सत्ता में आती रही है, तथा उसे निर्दलीयों और छोटे दलों तक पहुंचने की जरूरत नहीं पड़ी। तस्वीर साफ है कि नतीजे अगर कांग्रेस (Congress) के पूरी तरह से पक्ष में नहीं भी रहे और कुछ सीटें कम भी रहीं, तो गहलोत राजस्थान का राजनीतिक रिवाज बदलने में कामयाब हो सकते हैं।
गहलोत के राज में निर्दलीयों को सत्ता में पूरा सम्मान
ऐसे में क्या कांग्रेस, क्या बीजेपी (BJP) और क्या आरएलपी, राजस्थान (Rajasthan) में हर पार्टी के नेताओं को भरोसा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (AshokGehlot) और उनकी कांग्रेस (Congress) को अगर बहुमत के नजदीक भी पहुंचने का मौका मिला, या सरकार बनाने के आंकड़े में कुछ ही सीटें कम भी पड़ीं, तो बीजेपी (BJP) को पछाड़ते हुए जुगाड़ के जरिए फिर से कांग्रेस (Congress) की सरकार बनाने से गहलोत नहीं चूकेंगे। राजस्थान की राजनीति के जानकार निरंजन परिहार कहते हैं कि अशोक गहलोत (AshokGehlot) में भरोसा जीतने की ताकत है और निर्दलीय के नाते विधायक उन पर भरोसा कर सकते हैं, क्योंकि राजस्थान (Rajasthan) में वर्तमान सरकार में गहलोत के राज में निर्दलीयों को सत्ता में पूरा सम्मान गहलोत ने देकर यह साबित भी किया है। परिहार कहते हैं कि राजस्थान की चुनावी जंग में कांग्रेस अगर बहुमत के आंकड़े के आस पास भी पहुंची, तो अशोक गहलोत कांग्रेस (Congress) की सरकार बना सकते हैं तथा राजस्थान में हर पांच साल में सत्ता पलटने का रिवाज में बदलने में भी कामयाब हो जाएंगे।
जुगाड़ की जुगत में सबका ध्यान नए समीकरण पर
राजस्थान (Rajasthan) सहित पूरे देश की नजरें 3 दिसंबर को आने वाले नतीजों पर हैं, क्योंकि प्रदेश में बीते 25 नवंबर को मतदान संपन्न हो चुका है। हर किसी को चुनाव के नतीजों का इंतजार है। मतगणना से पहले हर सीट के गणित का हिसाब किताब लगाया जा रहा है। कौन कहां हार रहा है और कौन किस तरह से जीत रहा है। इस गणित में खास बात यह है कि राजस्थान (Rajasthan) में किस सीट पर कौन सा निर्दलीय या छोटी पार्टी का नेता जीत रहा है, उससे अभी से संपर्क बनाने की कोशिश की जा रही है, क्योंकि जुगाड़ की सरकार बनी, तो ये लोग ही काम आने हैं।
बड़े दल निर्दलीयों से संपर्क साधने की कोशिश में
राजनीति का नियम है कि सत्ता के साथ निर्दलीय चलते हैं। फिर, राजस्थान (Rajasthan) में यह देखने में आया है कि भले ही निर्दलीय कांग्रेस पर भरोसा करें न करें, अशोक गहलोत (AshokGehlot) पर पूरा भरोसा करते रहे सकते हैं। गहलोत अपनी पिछली दो सरकारों में छोटी पार्टियों न निर्दलीयों के साथ राजस्थान (Rajasthan) में सरकार चला चुके हैं एवं उनका भरोसा जीते चुके हैं। प्रदेश में नतीजों के साथ ही जैसे ही यह पता चल जाएगा कि सत्ता की कमान किस पार्टी के हाथ में जा सकती है, तो निर्दलीयों का झुकाव उसकी तरफ होगा, मगर इसके साथ ही अब अपनी राजस्थान (Rajasthan) में जीत पक्की करने के लिए बड़े राजनीतिक दल निर्दलीयों से संपर्क साधने की कोशिश में लग गए है।
संभावित विजयी निर्दलीयों से संपर्क साधने की जुगत
चुनाव जीतने की स्थिति में जो निर्दलीय वर्तमान में दिखाई दे रहे हैं, राजनीतिक विश्लेषक परिहार बताते हैं किराजस्थान (Rajasthan) में बीजेपी और कांग्रेस समेत (Congress) अन्य छोटे दल भी उनसे संपर्क साधने की कोशिश कर रहे है। इधर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (AshokGehlot) ने बड़ा बयान दिया है, कि सत्ता में कांग्रेस (Congress) ही फिर से आ रही है और उन्होंने यह भी कहा है कि अगर कोई भी पार्टी अगर किसी निर्दलीय नेता से संपर्क करती भी है, तो वह किसी को भी क्यों बताएगी? मुख्यमंत्री गहलोत ने यह भी कहा है कि जीतने वाले नेता और सत्ता में आने वाले दल का तो एक स्वाभाविक संबंध होता है। इसके साथ ही गहलोत का यह भी दावा है कि राजस्थान (Rajasthan) में कांग्रेस की सरकार के खिलाफ कोई एंटी इन्कम्बेंसी नहीं है।
बहुमत से दूरी पर निर्दलीय और छोटे दलों का साथ जरूरी
मुख्यमंत्री गहलोत की बात को सही बताते हुए राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार कहते हैं कि वे देश के विभिन्न प्रदेशों में जाते रहे हैं, मगर राजस्थान (Rajasthan) के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (AshokGehlot) जैसी लोकप्रियता किसी भी और मुख्यमंत्री की नहीं दिखती। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कांग्रेस को उम्मीद है कि वह फिर से सत्ता में आ सकती है। मगर, बहुमत से थोड़ी ही दूर रही, तो कांग्रेस (Congress) की सरकार बनाने में अशोक गहलोत (AshokGehlot) कामयाब हो सकते हैं, निर्णायक जीत हासिल करने में विफल रहने के बाद, निर्दलीय और छोटे दलों के पास अक्सर सरकार बनाने की कुंजी होती है, खासकर जब भी राजस्थान (Rajasthan) में कांग्रेस (Congress) सत्ता में आई है, तो वे साथ रहे हैं। इस, बार भी ऐसा ही हो सकता है।
-राकेश दुबे
Rajasthan Election: सवाल शाम के भोजन का है!