Congress: देश की सत्ता पर लंबे वक्त तक काबिज रहने के बाद लगातार कमजोर होती कांग्रेस अब पूरी तरह से बदलने वाली है। पुराने और अनुभवी चेहरे साइडलाइन होंगे और नए चेहरे बड़ी जिम्मेदारी सम्हालेंगे। राहुल गांधी के नेतृत्व में नए लोग पार्टी को मजबूत करने की कोशिश करेंगे। बदलाव की इस बयार में कांग्रेस कार्यसमिति का चेहरा भी पूरी तरह से बदला जाएगा। ज्यादातर पुराने लोग कार्यसमिति से बाहर होंगे। राहुल गांधी के हाथ कमान होगी और अब तक सोनिया गांधी जो कई सारे मामले खुद देखती थी, वे भी सिर्फ राहुल गांधी ही सम्हालेंगे। प्रियंका गांधी की भी पार्टी में अलग जिम्मेदारी तय हो रही है। अहमदाबाद में हो रहे 10 अप्रेल के अधिवेशन के साथ ही ये सारे ही बदलाव साफ तौर पर देखने को मिलेंगे। कांग्रेस में इस संभावित बदलाव को लेकर पार्टी की नई पीढ़ी के नेता उत्साहित हैं कि उनको अब चांस मिलेगा, तो बीजेपी की भी सीधी नजर इस बदलाव पर है, बीजेपी इस कोशिश में है कि राहुल गांधी के हाथ कांग्रेस की कमान आने के बाद की रणनीति क्या अपनाई जाए कि कांग्रेस और तेजी से कमजोर हो सके।
सोनिया गांधी के करीबी ज्यादातर नेता बाहर होंगे
राहुल गांधी कांग्रेस को एक युवा पार्टी बनाने के मूड में हैं और कांग्रेस में सोनिया गांधी की जिम्मेदारियों का राहुल गांधी को अंदरूनी हस्तांतरण लगभग पूरा हो गया है और अब पूरी तरह सोनिया की जगह राहुल ने ले ली है। इसीलिए, राजीव गांधी की हत्या के बाद से जब कांग्रेस की नेता के रूप में सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान संभाली तब से अब तक कांग्रेस कार्यसमिति में डटे दिग्गज भी अब इससे बाहर होने जा रहे हैं। कांग्रेस के जानकार सूत्र बताते हैं कि दिग्गजों को दरकिनार करने की कोशिश में, मुकुल वासनिक, आनंद शर्मा, मीरा कुमार, अम्बिका सोनी, एके एंटनी, आदि दिग्गज अब कांग्रेस कार्यसमिति से बाहर किए जा सकते हैं। इसके साथ ही राहुल गांधी के करीबी नेताओं का पार्टी में पूरी तरह से दबदबा हो जाएगा। बदलाव के तेज दौर के तहत अब कांग्रेस की प्रदेशों इकाईयो की तस्वीर भी बदलने वाली है। ज्यादातर प्रदेशों से सोनिया गांधी के करीबी नेता लगभग बाहर किए जा सकते हैं।

राहुल के नेतृत्व में दिग्गजों का क्या होगा?
सोनिया ने जब कांग्रेस की कमान संभाली तब से अब तक कांग्रेस कार्यसमिति में डटे दिग्गज भी अब इससे बाहर होने जा रहे हैं. दिग्गजों की बात करें तो एके एंटनी, अम्बिका सोनी, मुकुल वासनिक, आनंद शर्मा, मीरा कुमार सरीखे दिग्गज अब इस बॉडी से बाहर होने जा रहे हैं। सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी में जिन लोगों को अहमियत मिलती रही, उनमें से ज्यादातर नेता या तो पार्टी में नहीं या दुनिया में ही नहीं है। मनमोहन सिंह, अहमद पटेल, मोतीलाल वोरा, प्रणव मुखर्जी सरीखे नेता संसार छोड़ कर स्वर्ग को चले गए हैं। तो अमरिंदर सिंह, अशोक चव्हाण, और गुलाम नबी आजाद जैसे मुख्यमंत्री रहे नेता पार्टी छोड़कर निकल लिए और जनार्दन द्विवेदी जैसे नेताओं राजनीति से ही दूरी बना ली है। हरियाणा में भूपिंदर सिंह हुड्डा, राजस्थान में अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह तथा महाराष्ट्र में सुशील कुमार शिंदे व पृथ्वीराज चव्हाण जैसे नेता जरूर सक्रियता के साथ अपनी ताकत भी दिखा रहे हैं, लेकिन इन सारे ही नेताओं सहित पी चिदंबरम के बारे में राहुल गांधी क्या सोच रहे हैं, यह कोई नहीं जानता।
बदलाव से युवा खुश, तो बीजेपी भी उत्साहित
बदलाव के इस हालात में, राहुल गांधी के नजदीकी लोग काफी उत्साहित हैं। संगठन और कार्यसमिति में वे दिग्गज नेताओं की जगह पाने को बेताब हैं, लेकिन वास्तविक तस्वीर अप्रेल महीने के दूसरे सप्ताह में अहमदबाद में होने वाले अधिवेशन तक ही साफ होगी। ज्यादातर राहुल के करीबी खुश हैं कि अब वे ही कांग्रेस के निर्णायक होंगे। हालांकि पहले ही पार्टी में ये बदलाव शुरू हो गए हैं। लेकिन राजनीति के जानकार बताते हैं कि कांग्रेस में हो रहे इन बदलावों को लेकर जितना उत्साह कांग्रेस के भीतर नई पीढ़ी के नेताओं में है, उतना ही उत्साह बीजेपी में भी है। बीजेपी के रणनीतिकार मान रहे हैं कि कांग्रेस के पूरी तरह से राहुल के हाथ में आ जाने के बाद उसे पूरी तरह से नेस्तनाहबद करना ज्यादा आसान होगा। वैसे भी बीजेपी का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना पूरा होने में केवल 3 राज्य ही बाकी है, क्योंकि देश के 27 प्रदेशों में से केवल 3, तेलंगाना, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में ही कांग्रेस की सरकारें बची है। राहुल गांधी के नेतृत्व में दिल्ली में हाल ही में हुए चुनाव में कांग्रेस के 70 उम्मीदवारों में से 67 की जमानत जब्त हुई थी। बीजेपी इसीलिए कांग्रेस की कमान राहुल के हाथ में आने से उत्साहित हैं।
-राकेश दुबे (लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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