Narendra Modi: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने एक तिहाई से ज्यादा उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, और भले ही चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) की घोषणा नहीं की है, फिर भी जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने वाली के बारे में माना जा रहा है कि वह 370 सीटों के साथ फिर सत्ता में लौटने जा रही है। कोई चाहे कुछ भी दावे करे, लेकिन जीत बीजेपी (BJP) की तय है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ही बनेंगे, यह भी तय है। अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) की प्रतिष्ठा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हमारे राम लला आ गए हैं, फिर संसद में कहा है कि वे फिर तीसरी बार आ रहे हैं। दोनों को जोड़कर देखा जाए, तो कहा जा सकता है कि राम मंदिर की आंधी ने सरकार बनने की तस्वीर पर जमी धूल को साफ कर दिया और बीजेपी की सरकार लगातार तीसरी बार बनने जा रही है। फिलहाल मोदी लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री हैं ही, लेकिन संसद में उन्होंने घोषित भी कर दिया है कि वे ही तीसरी बार फिर प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। विपक्षी एकता का हल्ला ढकोसला साबित हो रहा है और तय है कि मोदी ही फिर तीसरी बार भी आ रहे हैं।
कमजोर होते जाना कांग्रेस की कमजोरी
प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत उनका ताकवर होना तो है ही, कांग्रेस को लगातार कमजोर करते जाना भी है। बीजेपी से मुकाबला करने की कोशिश में कांग्रेस का पास तो क्या समूचे विपक्ष के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं है जिसकी मतदाताओं के बीच साख हो और उसमें मोदी जैसा विश्वास पैदा करने का करिश्मा हो। देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन के छोटे छोटे प्रादेशिक भी जिस तरह से आंख दिखा रहे हैं, उसी से समझ में आ रहा है कि कांग्रेस कमजोर होती जा रही है। चुनाव सामने है और राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाल रहे हैं, वह हिसाब से कांग्रेस को मजबूत करने की कोशिश हो सकती है, लेकिन देश जान रहा है कि कांग्रेस को कितना लाभ पहुंच रहा है। कांग्रेस में चुनावी तैयारियों की कोई खास कोशिश तक नहीं दिख रही है और इसी वजह से भी लग रहा है कि 2024 का आम चुनाव जीतकर नरेंद्र मोदी फिर प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं।

चुनाव सर पर, मगर राहुल यात्रा में मस्त
यह जो चल रही है, वह 17वीं लोकसभा है, अगली लोकसभा के लिए चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। देश भर में माहौल बीजेपी का है। चुनाव सर पर होने के बावजूद राहुल गांधी को अपनी कांग्रेस पार्टी के लिए चुनावी महौल बनाने के बजाय भारत जोड़ो न्याय यात्रा में दिलचस्पी ज्यादा है। लोकसभा चुनाव घोषित होने से पहले ही 1 मार्च को बीजेपी ने अपने 195 उम्मीदवार घोषित करके मैदान में उतार दिए, लेकिन कांग्रेस अब तक उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग ही करती दिख रही है। राहुल गांधी और कांग्रेस पर तंज कसते हुए मोदी कहते हैं कि कांग्रेस ने अपने युवराज को एक स्टार्ट अप बनाकर दिया था, लेकिन न तो वो स्टार्ट हो रहा है और न ही लॉच हो पा रहा है। विपक्षी दलों की छिन्न भिन्न होती एकता और सीट बंटवारे की बंदरबांट से भी साफ हैं कि नरेंद्र मोदी और उनकी बीजेपी दोनों पर्याप्त, पूर्ण एवं प्रखर बहुमत के साथ फिर सत्ता में आ रहे हैं। मोदी ने कह ही दिया है कि एनडीए 400 से ज्यादा सीटें लेकर आ रही है और उनकी पार्टी को 370 सीटें मिलने जा रही है।
मोदी का दोबारा प्रधानमंत्री चुना जाना तय
दुनिया भर के देशों से भारत आने वाले भारतीय और विदेशी भी बताते हैं कि संसार भर में संसार के सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे बड़ी प्रतिष्ठा बनाने में मोदी की भूमिका सबसे बड़ी रही है। जितना बड़ा लोकतंत्र, प्रतिष्ठा भी उतनी ही ऊंची। विदेशों के प्रतिनिधियों के देश को विभिन्न हिस्सों में ले जा – लेजाकर मोदी ने जो कमाल किया है, यह उसी का परिणाम है। मोदी ने संसद में कहा कि उनका देश दिल्ली नहीं प्रदेशों में बसता है। जबकि विपक्षी दल मोदी को रोकने के लिए एक संयुक्त मोर्चा बनाने की कोशिश कर रहे हैं, एकजुट होने के प्रयास देश के विभिन्न स्थानों पर पार्टियों की बैठक और बिना किसी ठोस एजेंडे पर पहुंचे तितर-बितर होने तक ही सीमित हैं। विपक्ष की फूट के अलावा, ऐसे कई कारक हैं जो नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री चुने जाने को आसन्न बनाते हैं।

विपक्ष में विश्वसनीय चेहरे का अभाव
देश व दुनिया में राजनीतिक लोकप्रियता की हर कसौटी पर प्रधानमंत्री मोदी खरे उतरे हैं। राम मंदिर निर्माण के बाद दुनियआ भर में मोदी की लोकप्रियता में और इजाफा हुआ है। देश की 42 फीसदी जनता की राय में इसी लोकप्रि.यता के बल पर मोदी फिर सत्ता में लौट रहे हैं। स्वतंत्रता के बाद भारत के चुनावी इतिहास में कोई भी ऐसा जन नेता नहीं हुआ, जिसकी लोकप्रियता नरेंद्र मोदी की तरह लगातार तेजी से बढ़ी हो। आज मोदी की ‘छवि’ और ‘नेतृत्व’ की बराबरी कोई दूसरा नेता नहीं कर सकता। पूरे देश में कांग्रेस बनाम बीजेपी को देखा जाए, तो एक तरफ नरेंद्र मोदी हैं और दूसरी तरफ राहुल गांधी, दोनों में कोई मुकाबला ही नहीं लगता। आज की तारीख में, राहुल गांधी पर लोगों को विश्वास कम है, मगर ‘ब्रांड मोदी’ दुनिया भर के लोगों के बीच एक ऐसा विश्वास जगाता है, जो देश ने अतीत या वर्तमान में कभी नहीं देखा है। उनके मुकाबले विपक्ष में किसी अन्य विश्वसनीय चेहरे का अभाव एक बड़ा कारण है जिससे बीजेपी की सत्ता में वापसी सुनिश्चित है।
बीजेपी को मिला सर्वश्रेष्ठ वोट प्रतिशत
मोदी के नेतृत्व और उनके करिश्मे के कारण 2014 के बाद देश का एक बड़ा वर्ग बीजेपी से जुड़ गया। यही कारण था कि 2019 के आम चुनावों में बीजेपी ने अपना सर्वश्रेष्ठ वोट प्रतिशत हासिल किया। परिणाम प्रधानमंत्री मोदी पर लोगों की स्वीकृति की एक बड़ी मोहर थी, क्योंकि पार्टी ने उनके नाम पर चुनाव लड़ा था, और उनके तहत शुरू किए गए विकास कार्यों को मतदाताओं तक पहुंचाया था। जबकि अन्य सरकारों को सत्ता-विरोधी लहर का सामना करना पड़ा है, 2019 में मोदी की प्रधानमंत्री कार्यालय में वापसी देश के इतिहास में सबसे बड़े सत्ता-समर्थक जनादेशों में से एक थी। जबकि अतीत में कांग्रेस सत्ता में लौटी है, यह या तो आजादी के शुरुआती वर्षों में हुई थी जब कांग्रेस का कोई विरोध नहीं था, या इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 की जीत के मामले में सहानुभूति लहर के कारण। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के वोटों में बढ़ोतरी भारत के राजनीतिक इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना थी।

संगठनात्मक ताकत और करिश्माई नेतृत्व
यह अकेले मोदी ही हैं जो अपने शासन मॉडल से प्रेरित अपनी लोकप्रियता के आधार पर पहले कार्यकाल से भी अधिक बड़े जनादेश के साथ सत्ता में वापस आये हैं। बीजेपी ने संगठन का विस्तार करके इस लोकप्रियता को आगे बढ़ाया, जिसका पिछले 10 वर्षों में तेजी से विस्तार हुआ है। पहले अमित शाह और फिर जगतप्रकाश नड्डा के नेतृत्व में न केवल संख्या बढ़ी है, बल्कि संगठनात्मक ढांचे को अधिक सामंजस्यपूर्ण और गतिशील बनाया गया है। आज बीजेपी के पास एक अनुशासित और संरचित संगठन है जिसका बूथ स्तर तक निर्बाध संचार है। यह बीजेपी के लिए एक अनोखा मॉडल है। संरचनात्मक एकजुटता से प्रेरित होकर, बीजेपी 365 दिन प्रचार करती है, जबकि विपक्ष के पास ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं है जिसका पालन सुबह से शाम तक भी किया जाता हो।
नये मतदाताओं के बीच लोकप्रिय
अपने पहले कार्यकाल में ही प्रधानमंत्री मोदी ने एक नया लाभार्थी मतदाता वर्ग तैयार किया। उनके दूसरे कार्यकाल में लाभार्थी मतदाताओं की संख्या में और बढ़ोतरी हुई है. अपने अब तक के कार्यकाल में मोदी ने जनधन, उज्ज्वला, सौभाग्य, आवास, शौचालय, पेंशन, बीमा, आयुष्मान, किसान सम्मान निधि और मुफ्त राशन जैसी योजनाओं का लाभ समय पर पहुंचाकर देश के गरीब तबके के बीच अपनी साख मजबूत की है। इस लाभार्थी वोट बैंक का असर 2019 के चुनाव में देखने को मिला. सेवाओं की समय पर और प्रभावी डिलीवरी ने इस वोट-बैंक की प्रतिबद्धता सुनिश्चित की है और 2024 के चुनावों से पहले मोदी की गारंटी में विश्वास केवल बढ़ा है। मोदी द्वारा तैयार किये गये इस समर्पित वोट बैंक का विपक्ष के पास कोई जवाब नहीं है। एक बड़ा वर्ग, जिसे परंपरागत रूप से बीजेपी का मतदाता नहीं माना जाता था, ने 2014 के बाद लाभार्थी मतदाताओं के रूप में बीजेपी को वोट देना शुरू कर दिया। इस नए वोट-बैंक ने देश में जातिवाद और तुष्टिकरण की राजनीति को बहुत नुकसान पहुंचाया है। वोट-बैंक के इस पुनर्गठन के परिणामस्वरूप, राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों का प्रभाव कम हो गया है।
-निरंजन परिहार (राजनीतिक विश्लेषक)