निरंजन परिहार
लंदन दुनिया के श्रेष्ठतम शहरों में गिना जाता है। बहुत कुछ हमारे भारत में मुंबई जैसा। लंदन और मुंबई दोनों में कोई बहुत फर्क नहीं। वैसी ही भीड़ – भाड़, वैसी ही धक्का – मुक्की। वैसी ही ऐतिहासिक इमारतें और वैसी ही लोकल ट्रेनों की आवाजाही और वैसा ही व्यापार। हां, लेकिन हर मामले में हम से बेहतर। एक खास बात और यह भी कि जिस तरह से भारत के सभी इलाकों के लोग हमारे मुंबई में रहते हैं, वैसे ही लंदन में दुनिया भर के देशों को लोग रहते हैं।
दुनिया के बाकी बड़े शहरों से यदि लंदन की तुलना करिये, और खासकर मुंबई के मुकाबले, तभी लंदन की महानता का आपको एहसास होगा। लंदन की महानता और अंग्रोजों के बड़प्पन का इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है कि उनकी अपनी संसद के सामने पार्लियामेंट स्वकायर पर उन्होंने उन महात्मा गांधी की मूर्ति स्थापित की है, जिसने अंग्रेजी राज को भारत से भगाने के लिए दशकों तक आंदोलन चलाया, ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ को नारा दिया और अंग्रेजों को भगाकर ही दम लिया। जबकि हमने तो लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गज नेता के पाकिस्तान में जिन्ना को नमन करने को भी आडवाणी का पापकर्म मानकर उनके प्रति खुद को नफरत से भर लिया था।
आर्थिक राजधानी के नाम पर जिस तरह से मुंबई को पूरे भारत का नगरसेठ माना जाता है, लंदन दुनिया का सेठ कहा जा सकता है, क्योंकि वहां सभी के पास काम है। काम तो मुंबई में भी हर किसी के पास है, कोई बेरोजगार नहीं। हां, मुंबई में बस नहीं है तो लंदन की तरह लोगों में जीवन को जीने का सलीका नहीं है, जिंदगी के प्रति गंभीरता नहीं है, और मनुष्य का मनुष्य को देखने का गरिमामयी नजरिया नहीं है। सभ्यता और संस्कृति हमारी किताबों में बहुत होने के बावजूद मुंबई की जिंदगी में संस्कार उस तरीके उच्च नहीं है, लंदन इसीलिए हमारे हिंदुस्तान के मुंबई के मुकाबले बहुत श्रेष्ठ है।
लंदन को आज के दौर की दुनिया का सबसे अच्छा शहर कहा जा सकता है। यहां रहना, जीना और जीने के अहसास का अनुभव करना किसी भी और शहर के मुकाबले ज्यादा शान का अहसास जगाता है। हमारे हिंदुस्तान में मुंबई को सबसे गतिमान शहर कहते हैं, लेकिन मनुष्य की उम्मीदों की पूर्ति के हिसाब से लंदन संसार का सबसे गतिमान शहर है, सबसे बेहतर और सबसे शानदार भी। लोगों को रहने का सलीका है, जीने का तरीका है और पहले के मुकाबले दुनिया के ज्यादा देशों से आकर लोगों के यहां रहने के बावजूद अधिक तहजीब, तमीज और अनुशासन वाला है आज का लंदन।
अपने शहर को नंबर वन मानकर महान साबित करने की मुहिम चलाना बुरी बात नहीं है, और न ही यह खराब है कि हम अपने शहर की बुलाई सुनना पसंद करते। लेकिन मुंबई से लंदन की तुलना करने पर आपकी ख़ुशी काफ़ूर हो सकती है। क्योंकि मुंबई जिंदगी को खींचता है लेकिन लंदन जीवन को सींचता है। मुंबई में आप जी तो लेंगे, मगर जीना नहीं सीख पाते। लंदन में जीवन लगभग आजाद सा है, लेकिन मुंबई की जिंदगी बंधक लगती है। लंदन जीवन के जातने की राह दिखाता है, तो मुंबई केवल जीवन को जीने का कारण बनता है। लोग मुंबई को भले ही भारत का शानदार शहर कहते है, लेकिन जानदार नहीं कहते, क्योंकि यहां हर वक्त जान हथेली पर रखकर जीवना पड़ता है, जो कि लंदन में ऐसा तो नहीं होता।
खैर, दुनिया के व्यावसायिक हालात बदले, तो आज यूरोप का यह सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक केंद्र है, और यूरोप में आर्किेटेक्चर और कला का भी सबसे बड़ा केंद्र भी। जब आपके मन में स्वयं के प्रति गर्व, गौरव और गरिमा घटने लगे, तो लंदन से अपनी तुलना कीजिए, जीवन को शिद्धत से जीने की लालसा और प्रबल होगी, क्योंकि लंदन मुंबई की तरह केवल जीना नहीं सिखाता, जीवन को जीवन के जीतने के लिहाज से जीने का सलीका, तरीका और संस्कार भी सिखाता है। जीवन की आपाधापी मुंबई में संकट है, तो लंदन में जीवन को सफल बनाने का हाई वे, जिसमें हर कदम पर नई राह खुलती है। लंदन को इन्ही बहुत सारी वजहों से दुनिया का महान शहर माना जाता सकता है। लेकिन फिर भी कोई ना माने, तो उसका क्या किया जाए, आप बताना!